Janmashtami 2025 : जन्माष्टमी कब है, जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त और महत्व

जन्माष्टमी का पर्व हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है, यह पर्व भाद्रपद माह में मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव पूरे देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को सजाया जाता है और घरों में भी लोग इस पर्व को बड़े ही उत्साह के मनाते हैं। तो आइए जानते हैं साल 2025 में जन्माष्टमी कब है, जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त क्या होगा और जन्माष्टमी का महत्व क्या है.

Published On 2025-04-05 12:00 GMT   |   Update On 2025-07-13 14:13 GMT

Janmashtami 2025 : जन्माष्टमी का पर्व हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है, यह पर्व भाद्रपद माह में मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव पूरे देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को सजाया जाता है और घरों में भी लोग इस पर्व को बड़े ही उत्साह के मनाते हैं। तो आइए जानते हैं साल 2025 में जन्माष्टमी कब है, जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त क्या होगा और जन्माष्टमी का महत्व क्या है.


जन्माष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त 2025

साल 2025 में जन्माष्टमी का पर्व गोकुल में 15 अगस्त को मनाया जाएगा और मथुरावासी जन्माष्टमी का पर्व 16 अगस्त को मनाएंगे।


जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त:

अष्टमी तिथि प्रारंभ: 15 अगस्त को रात 11:49

अष्टमी तिथि समाप्त: 16 अगस्त को रात 9:34

निशीथ पूजा मुहूर्त: 16 अगस्त को रात 12:03 से 12:47

जन्माष्टमी पारण मुहूर्त: 17 अगस्त को 05:50 के बाद

जन्माष्टमी महत्व जन्माष्टमी का पर्व भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रुप में मनाया जाता है। इस त्योहार सनातन हिंदू धर्म में बहुत खास महत्व रखता है। इस दिन भक्त व्रत रखकर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना करते हैं। जन्माष्टमी का पर्व पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन मंदिरों को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। रात्रि में कीर्तन भजन आदि किया जाता है और भगवान की विशेष पूजा की जाती है। भक्त लोग इस दिन उपवास रखते हैं और चंद्रोदय के पश्चात ही अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं। इस दिन भक्त श्रीकृष्ण भगवान को 56 व्यंजनों का भोग लगाते हैं और बाद में प्रसाद के रुप में उसे ग्रहण करते हैं। भगवान को इस दिन खीर, और दूध से बनी मिठाईयां आदि अर्पित की जाती हैं। साथ ही भगवान की कई प्रकार से पूजा की जाती है।


Vastu Tips: जीवन में परेशानी का अड्डा बन सकती है आपकी ये छोटी सी गलती, समय रहते कर लें सुधार, वरना...

वास्तुशास्त्र में जीवन से जुड़े अनेक नियम और उपाय बताए गए हैं। मान्यता है कि जिस भी घर में वास्तुदोष उत्पन्न होता है, वहां क्लेश, बीमारी, धन हानि जैसी अनेक परेशानियां होती ही रहती हैं। वहीं कई बार तो घर का निर्माण वास्तु के अनुसार होने पर भी लोगों को अनेक प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ता है और पूरा जीवन निकल जाता है, लेकिन इन परेशानियों से लोगों को निजात नहीं मिल पाती है। वहीं क्या आप जानते हैं कि कुछ छोटे-छोटे कारण जोकि जाने अंजाने में आपसे हो जाते हैं और वहीं आपके घर में गंभीर वास्तुदोष उत्पन्न कर देते हैं। जिसके कारण आपका घर अनेक प्रकार की दुख, तकलीफ, हारी-बीमारी और घरेलु क्लेश के साथ-साथ धन हानि, वैवाहिक जीवन में परेशानी का अड्डा बन जाता है। तो आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही छोटे-छोटे कारण जिनकी वजह से आपके वास्तु अनुकूल घर में भी वास्तुदोष उत्पन्न हो जाता है।


शयनकक्ष में गीला तोलिया लपेट कर आना

कुछ लोग स्नान के बाद गीला तोलिया स्नानागार में ही छोड़ देते हैं अथवा कहीं सूखने के लिए डाल देते हैं। तो वहीं कुछ लोग स्नानगार में स्नान के बाद गीले तोलिया को लपेट कर अपने शयनकक्ष तक पहुंच जाते हैं और वहीं पर स्नान के बाद कपड़े पहनते हैं। शयनकक्ष में गीला तोलिया लेपट कर आना ही आपके घर में वास्तुदोष उत्पन्न कर देता है, जिसके बाद आपके घर में पहले तो आपसी क्लेश का वातावरण उत्पन्न होता है और उसके बाद घर के किसी ना किसी सदस्य को कोई ना कोई छोटी मोटी बीमारी हो जाती है और धन हानि होने लगती है। जिसके बाद आपके घर में परेशानियां अपना बसेरा कर लेती हैं और लाख प्रयत्न के बाद भी आपको इससे निजात नहीं मिलती है।


रसोईघर में चूल्हे के निकट भोजन करना

वैसे तो रसोईघर में भोजन करने की परंपरा सदियो से चली आ रही है, जोकि वास्तु के लिहाज से उत्तम व्यव्स्था भी मानी जाती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि रसोईघर में चूल्हे के निकट खड़े होकर भोजन करने पर भी वास्तुदोष उत्पन्न होता है । जब भी रसोईघर में भोजन करें तो बैठकर ही भोजन करें और चूल्हे से थोड़ा हटकर रहें। वरना आपके घर में भी परेशानियां आते देर नहीं लगेगी।



Tags:    

Similar News