माँ महागौरी की आरती

नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है। उनका वर्ण अत्यंत श्वेत है और वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं। इनके हाथों में त्रिशूल और डमरू रहता है, और वे वृषभ (सफेद बैल) पर सवार होती हैं। माँ महागौरी का स्वरूप सौम्य है और इन्हें पवित्रता, सौंदर्य और करुणा की देवी माना जाता है।

Published On 2025-09-04 17:50 GMT   |   Update On 2025-09-04 17:50 GMT

माँ महागौरी

नवरात्रि के आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा की जाती है। उनका वर्ण अत्यंत श्वेत है और वे श्वेत वस्त्र धारण करती हैं। इनके हाथों में त्रिशूल और डमरू रहता है, और वे वृषभ (सफेद बैल) पर सवार होती हैं। माँ महागौरी का स्वरूप सौम्य है और इन्हें पवित्रता, सौंदर्य और करुणा की देवी माना जाता है।

आरती माँ महागौरी जी की

जय महागौरी जगत की माया।

जय उमा भवानी जय महामाया॥

हरिद्वार कनखल के पासा।

महागौरी तेरा वहा निवास॥

चन्द्रकली और ममता अम्बे।

जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥

भीमा देवी विमला माता।

कौशिक देवी जग विख्यता॥

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।

महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥

सती हवन कुंड में था जलाया।

उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।

तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥

तभी माँ ने महागौरी नाम पाया।

शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥

शनिवार को तेरी पूजा जो करता।

माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।

महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥

माँ महागौरी की आरती का महत्व

माँ महागौरी की आरती करने से मन की शुद्धि और आत्मिक शांति मिलती है।

विवाह, संतान सुख और गृहस्थ जीवन की समस्याएँ दूर होती हैं।

भक्त को माँ की कृपा से धन, वैभव और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

उनके आराधन से सभी पाप और दोष दूर होते हैं तथा जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

पूजा विधि

1. सुबह स्नान कर सफेद या गुलाबी वस्त्र धारण करें।

2. पूजा स्थल पर सफेद वस्त्र बिछाकर माँ महागौरी की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें।

3. गंगाजल, दूध और पुष्प से माँ का अभिषेक करें।

4. सफेद फूल, सफेद वस्त्र, नारियल और मिठाई अर्पित करें।

5. शंखनाद और घंटी बजाकर आरती गाएँ।

6. अंत में “ॐ देवी महागौर्यै नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।

आरती का शुभ समय

सुबह सूर्योदय के समय आरती करने से दिनभर शांति और सुख की प्राप्ति होती है।

रात में दीपक के साथ आरती करने से गृहस्थ जीवन की बाधाएँ समाप्त होती हैं।

विशेषकर शनिवार को पूजा करने से रुके हुए कार्य सिद्ध होते हैं।

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