श्री हनुमान जी की आरती

हनुमान जी को अंजनीपुत्र, पवनपुत्र, संकटमोचक और रुद्रावतार माना जाता है।

Published On 2025-08-29 17:37 GMT   |   Update On 2025-08-29 17:37 GMT

श्री हनुमान जी

हनुमान जी को अंजनीपुत्र, पवनपुत्र, संकटमोचक और रुद्रावतार माना जाता है।

श्रीराम भक्त हनुमान की आराधना करने से भय, रोग, शत्रु और सभी प्रकार की बाधाएँ दूर होती हैं।

मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से हनुमान जी की आरती करता है, उसे असीम बल, बुद्धि, निरोगी काया और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।

कहा भी गया है —

“सब सुख लहैं तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू को डरना।”

श्री हनुमान जी की आरती

आरती कीजे हनुमान लला की ।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

जाके बल से गिरवर काँपे ।

रोग दोष जाके निकट ना झाँके ॥

अंजनी पुत्र महा बलदाई ।

संतन के प्रभु सदा सहाई ॥

दे वीरा रघुनाथ पठाये ।

लंका जाये सिया सुधी लाये ॥

लंका सी कोट संमदर सी खाई ।

जात पवनसुत बार न लाई ॥

लंका जारि असुर संहारे ।

सियाराम जी के काज सँवारे ॥

लक्ष्मण मुर्छित पडे सकारे ।

आनि संजीवन प्राण उबारे ॥

पैठि पताल तोरि जम कारे।

अहिरावन की भुजा उखारे ॥

बायें भुजा असुर दल मारे ।

दाहीने भुजा सब संत जन उबारे ॥

सुर नर मुनि जन आरती उतारे ।

जै जै जै हनुमान उचारे ॥

कचंन थाल कपूर लौ छाई ।

आरती करत अंजनी माई ॥

जो हनुमान जी की आरती गाये ।

बसहिं बैकुंठ परम पद पायै ॥

लंका विध्वंस किये रघुराई ।

तुलसीदास स्वामी कीर्ती गाई ॥

आरती कीजे हनुमान लला की ।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

हनुमान आरती का महत्व

आरती करने से घर में साहस, बल, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है।

शत्रु बाधाएँ, नकारात्मक ऊर्जा और भय का नाश होता है।

हनुमान जी की कृपा से मन शांत और आत्मविश्वास दृढ़ होता है।

मंगलवार और शनिवार को आरती का विशेष महत्व है।

आरती का शुभ समय

सुबह — ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय के समय।

शाम — सूर्यास्त के बाद संध्या आरती विशेष फलदायी।

मंगलवार और शनिवार को आरती करने से संकटमोचन हनुमान शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

Tags:    

Similar News