मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025: भद्रा के साए में पड़ेगी साल की आखिरी पूर्णिमा, जानें स्नान-दान और पूजा का शुभ मुहूर्त
4 दिसंबर 2025 की मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भद्रा स्वर्ग लोक में रहने से कोई बाधा नहीं पड़ेगी। जानें स्नान-दान, सत्यनारायण पूजा और चंद्रोदय का शुभ समय।
साल की आखिरी पूर्णिमा पर भद्रा का साया
जानें मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर स्नान-दान का सही समय
मार्गशीर्ष पूर्णिमा हिंदू पंचांग की बेहद शुभ और पवित्र तिथि मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं के साथ पूर्ण रूप से चमकता है, जिससे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है। भगवान विष्णु और चंद्र देव की पूजा का खास महत्व होता है। कहा जाता है कि इस पवित्र तिथि पर पूजा करने से दुख, दरिद्रता और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं तथा घर में सुख-समृद्धि आती है।
इस बार, साल 2025 की आखिरी पूर्णिमा भद्रा के साए के साथ पड़ रही है, लेकिन यह भद्रा धरती लोक पर प्रभाव नहीं डालेगी।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा कब है?
ज्योतिषीय पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा 4 दिसंबर 2025 को सुबह 8:36 बजे शुरू होकर 5 दिसंबर 2025 को सुबह 4:42 बजे खत्म होगी।
हालांकि पर्व का पालन 4 दिसंबर को ही किया जाएगा।
इस पूर्णिमा पर भद्रा का असर
इस वर्ष मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन भद्रा सुबह 8:36 बजे से शाम 6:41 बजे तक रहेगी।
लेकिन राहत की बात यह है कि इस दिन भद्रा का वास स्वर्ग लोक में होगा, इसलिए धरती पर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। पूजा-पाठ, दान और व्रत सामान्य रूप से किए जा सकते हैं।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025: स्नान-दान का शुभ मुहूर्त
पूर्णिमा के दिन स्नान और दान करने का समय बेहद शुभ माना गया है। इस वर्ष इसका मुहूर्त है—
स्नान-दान: सुबह 5:10 बजे से 6:04 बजे तक
सत्यनारायण पूजा: सुबह 10:53 बजे से दोपहर 1:29 बजे तक
चंद्रोदय का समय
इस दिन चंद्रमा का दर्शन भी खास माना जाता है। मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर चंद्रोदय दोपहर 4:34 बजे होगा।