सोमवार को बस इतना कर लें! शिवजी की विशेष कृपा से खुलेंगे धन–समृद्धि के द्वार, दूर होंगी सारी बाधाएँ
सोमवार को शिवजी की पूजा और रुद्राष्टक का पाठ करने से धन, सुख और समृद्धि मिलती है। जानें महादेव की कृपा पाने के आसान और प्रभावी उपाय
सोमवार को बस इतना कर लीजिए! महादेव की विशेष कृपा से खुलेंगे धन–समृद्धि के सारे द्वार
सनातन धर्म में भगवान भोलेनाथ को सबसे ज्यादा पूजनीय माना गया है। मान्यता है कि महादेव बहुत सरलता से प्रसन्न हो जाते हैं। कहा जाता है कि यदि कोई भक्त सच्चे मन से शिवलिंग पर एक लोटा जल भी चढ़ा दे, तो शिवजी कृपा बरसाते हैं। भगवान शिव का नवग्रहों पर भी विशेष अधिकार माना गया है, इसलिए उनकी पूजा करने से ग्रहों की स्थिति भी अनुकूल होने लगती है। इसी कारण यहाँ हम आपको ऐसे स्तोत्र और चालीसा के बारे में बता रहे हैं, जिनका रोज़ या सोमवार को पाठ करने से धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है तथा भोलेनाथ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आइए जानते हैं इन पवित्र पाठों के बारे में…
॥ श्री शिव रूद्राष्टकम स्तोत्रम् ॥
(गोस्वामी तुलसीदास कृत)
॥ 1 ॥
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं,
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं,
चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥
॥ 2 ॥
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं,
गिराज्ञान गतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं,
गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥
॥ 3 ॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं,
मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा,
लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा ॥
॥ 4 ॥
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं,
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं,
प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
॥ 5 ॥
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं,
अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं,
भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥
॥ 6 ॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी,
सदा सच्चिदानन्द दाता पुरारी ।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी,
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
॥ 7 ॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं,
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शान्ति सन्ताप नाशं,
प्रसीद प्रभो सर्वभूताधि वासं ॥
॥ 8 ॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजा,
न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं,
प्रभोपाहि आपन्नमामीश शम्भो ॥
॥ फलश्रुति ॥
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये ।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शंभो प्रसीदति ॥
॥ इति श्रीगोस्वामी तुलसीदासकृतं रुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥