Shankaracharya Temple Srinagar: शंकराचार्य मंदिर: श्रीनगर की 1000 फीट ऊंचाई पर बसा वो शिव धाम, जहां दर्शन से बदल जाती है ज़िंदगी!

Shankaracharya Temple Srinagar: श्रीनगर स्थित शंकराचार्य मंदिर (ज्येष्ठेश्वर मंदिर) भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन तीर्थ स्थल है। जानें इतिहास, वास्तुकला, दर्शनीय समय और यात्रा गाइड।;

By :  Soni Singh
Update: 2025-06-22 16:45 GMT

*शंकराचार्य मंदिर*

जम्मू का शंकराचार्य मंदिर कश्मीर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक माना जाता है जिसको ज्येष्ठेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। खूबसूरत नजारों से गिरा यह मंदिर आने वाले आगंतुकों को अलग सी शांति प्रदान करता है इस मंदिर में भारत का समृद्ध इतिहास आज भी झलकता है।

*शंकराचार्य मंदिर, श्रीनगर:*

श्रीनगर का सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिरों में से एक शंकराचार्य मंदिर गोपाद्री नाम के पहाड़ पर ज़बरवान रेंज पर बना हुआ है जो हिंदू देवता भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर श्रीनगर से करीब 1000 फीट(300 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है। मंदिर परिसर में लगभग 300 से अधिक देवी देवताओं की बहुमूल्य मूर्तियां विराजमान है।

*मंदिर की वास्तुकला:*

इस विशाल और खूबसूरत मंदिर का गर्भगृह गोलाकार में है। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को लगभग 244 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। गर्भगृह में भगवान शिव का एक विशाल शिवलिंग स्थित है। मंदिर के अंदर एक छोटा कमरा भी मौजूद है, जिसे आदि शंकराचार्य का तपस्या स्थल माना जाता है।

ऊंचाई पर होने के कारण इस मंदिर से लगभग पूरे श्रीनगर शहर और डल झील का भव्य नजारा देखने को मिलता है।

*इतिहास:*

मंदिर से जुड़े फारसी भाषा में दो अभिलेख मिले हैं। जिसके अनुसार मंदिर की स्थापना सन 1659 ईस्वी में हुई थी वहीं दूसरी तरफ दूसरे अभिलेख के अनुसार मंदिर के छत और स्तंभ का निर्माण सन 1644 ईस्वी में मुगल शासक शाहजहां द्वारा करवाया गया था।

*मंदिर का समय:*

शंकराचार्य मंदिर श्रद्धालुओं के लिए पूरे सप्ताह सुबह 7:30 से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है। भक्त इस दौरान वहां जाकर दर्शन प्राप्त कर सकते हैं।

*मुख्य आकर्षण:*

० जम्मू कश्मीर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है।

० प्रसिद्ध दार्शनिक शंकराचार्य के नाम पर रखा गया मंदिर का नाम।

० दूर-दूर से पर्यटक आते हैं दर्शन करने के लिए।

० ज्येष्ठेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

*शंकराचार्य मंदिर के प्रमुख त्योहार:*

इस प्रसिद्ध मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। जहां दूर-दूर से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। भक्त भगवान शिव के शिवलिंग पर दूध, फल, फूल चढ़ाते हैं और दर्शन करते हैं। साथ ही अमरनाथ यात्रा के दौरान भी यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

*मंदिर कैसे पहुंचे:*

मंदिर पहुंचने के लिए और सुगम दर्शन प्राप्त करने के लिए श्रद्धालु अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी मार्ग का चयन कर सकते हैं। अपने निजी वाहनों या टैक्सी का भी प्रयोग कर सकते हैं। राज्य परिवहन द्वारा बसों की सेवाएं भी उपलब्ध होती हैं जिससे श्रद्धालु एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से पहुंच सकते हैं।

*दर्शन के लिए सबसे अच्छा समय:*

नवंबर से मार्च तक का समय श्रद्धालुओं के लिए सबसे उपयुक्त समय हो सकता है। क्योंकि इस वक्त भक्तों को प्रचंड गर्मी का सामना नहीं करना पड़ता और अधिक बरसात के कारण उत्पन्न समस्याओं से भी बच सकते हैं।

इस दौरान यहां का मौसम बहुत सुहावना होता है जो आपके दर्शन यात्रा को और भी अच्छा बना देता है।

*मंदिर के आसपास पर्यटक स्थल:*

अगर मंदिर के दर्शन करने के बाद आपके पास पर्याप्त समय है तो आप अन्य पर्यटक स्थल भी घूमने जा सकते हैं।

० डल झील

० मुगल गार्डन

० परी महल

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