Jagannath Temple Ranchi: रांची का जगन्नाथ मंदिर: जानें 335 साल पुराने धाम का इतिहास, रथ यात्रा और दर्शन की खास बातें!

Jagannath Temple Ranchi: रांची का प्राचीन जगन्नाथ मंदिर 335 साल पुराना धार्मिक स्थल है, जहां भव्य रथ यात्रा का आयोजन होता है। जानें जगन्नाथ मंदिर का इतिहास, दर्शन समय, यात्रा मार्ग और मौसीबाड़ी से जुड़ी रोचक बातें इस गाइड में।;

By :  Soni Singh
Update: 2025-06-24 18:19 GMT

Jagannath Temple Ranchi: भारत का झारखंड राज्य न केवल संसाधनों के लिए जाना जाता है बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य से आने वाले पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। यह राज्य प्राचीन मंदिरों से समृद्ध रहा है। जहां देश-विदेश से हजारों की संख्या में लोग भगवान के दर्शन करने के लिए आते है।

इन्हीं प्रसिद्ध मंदिरों में से एक मंदिर है प्राचीन जगन्नाथ मंदिर। उड़ीसा के पुरी की तरह ही रांची में प्राचीन जगन्नाथ मंदिर मौजूद है जिसका इतिहास लगभग 332 साल पुराना है। यह मंदिर आने वाले भक्तों को धार्मिक महत्व के साथ-साथ शांति की अनुभूति कराता है। एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित होने के कारण यहां से आसपास का नजारा बहुत ही मनमोहक है।

तो आईए जानते हैं जगन्नाथ मंदिर कहां है, कैसे पहुंचा जा सकता है, इस मंदिर का इतिहास कितना पुराना है? इस लेख के माध्यम से हम आपको जगन्नाथ मंदिर में होने वाली रथ यात्रा के बारे में भी जानकारी देंगे।

*जगन्नाथ मंदिर कहां है:*

जगन्नाथ मंदिर झारखंड राज्य में प्रकृति के गोद में बस एक प्राचीन और धार्मिक स्थल है। यह मंदिर झारखंड राज्य के राजधानी रांची में धुर्वा क्षेत्र में स्थित है। रांची का यह जगन्नाथ मंदिर करीब 80 90 मीटर ऊंची एक छोटी पहाड़ी पर स्थापित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ को समर्पित है जहां देश-विदेश से लाखों की संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं और अपनी हाजिरी लगाते हैं।

इस मंदिर में वास्तुकला की नायाब छठ देखने को मिलती है साथ ही इस मंदिर में प्राचीन शिल्पकारी आने वाले भक्तों को आकर्षित करती है।

*मंदिर का इतिहास:*

इस मंदिर का निर्माण नागवंशी राजा ठाकुर एनी नाथ शाहदेव द्वारा सन् 1691 में कराया गया था। इस मंदिर का इतिहास लगभग 335 वर्ष पुराना है।

*जगन्नाथ मंदिर का समय:*

भगवान जगन्नाथ मंदिर भक्तों के लिए सभी दिन खुला रहता है। मंदिर के द्वारा सुबह 5:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और दोपहर 3:00 से शाम 6:00 बजे तक खुले रहते हैं। दोपहर 12:00 बजे से 3:00 बजे तक मंदिर बंद कर दिया जाता है। मंदिर में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं है।

*रथ यात्रा:*

अगर आप भी अपने परिवार के साथ भगवान जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने जाना चाहते हैं तो हम आपको बता दें कि उड़ीसा के पुरी के तर्ज पर यहां भी भव्य रथ यात्रा निकली जाती है। आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि को आपको मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है। इस भव्य रथ यात्रा का हिस्सा बनने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और इस मेले में सम्मिलित होते हैं।

*सर्वधर्म सद्भाव:*

"सभी धर्म बराबर है" - यह संदेश रांची के प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर द्वारा लोगों तक पहुंचता है। ऐसा इसीलिए है क्योंकि आज से लगभग 326 साल पहले सभी धर्म और जाति के लोग एक साथ मिलजुल कर रहते थे और रथ यात्रा का आयोजन किया करते थे। रथ यात्रा प्रबंधन की सारी जिम्मेदारियां को बराबरी से प्रत्येक जाति में बांट दिया जाता था।

एक जाति के लोगों का काम श्री जगन्नाथ भगवान को फूल मुहैया कराने का होता था, वहीं दूसरी तरफ दूसरी जाति के लोग घंटी प्रदान करते थे, कोई पहरेदारी में अपना योगदान देता था तो कोई रात को सजाने की जिम्मेदारी लेता :था। बढ़ई और लोहार जाति के लोग राज का निर्माण करते थे।

*मौसीबाड़ी:*

श्री जगन्नाथ भगवान से संबंधित एक रोचक तथ्य यह भी है कि भव्य रथ यात्रा के आयोजन के दौरान भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ 9 दिन के लिए मौसी के घर जाते हैं। मौसी गुडिचा देवी के द्वारा जगन्नाथ भगवान बलराम और सुभद्रा आतिथ्य सत्कार प्राप्त करते हैं उसके बाद अपने धाम लौट जाते हैं।

इन नौ दिनों के दौरान देश-विदेश से भक्त मौसीबाड़ी आते हैं और भगवान के दर्शन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इन दिनों के दौरान भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए अपनी आंखें खोलते हैं ।

भक्तों की अपार भक्ति देखने के बाद श्री जगन्नाथ मंदिर से कुछ दूरी पर मौसी गुडिचा देवी का मंदिर बनवाया गया। जिसे मौसीबाड़ी नाम से जाना जाता है।

*कैसे पहुंचे:*

० *हवाई मार्ग:* जगन्नाथ मंदिर पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा रांची हवाई अड्डा है जो मंदिर से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कोलकाता पटना और दिल्ली जैसे मुख्य शहरों से रांची के लिए कई नियमित उड़ाने हैं।

मंदिर पहुंचने के लिए निकटतम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा कोलकाता है।

० *रेल मार्ग:* जगन्नाथ मंदिर का सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन हटिया रेलवे स्टेशन है। जहां से उतरने के बाद भक्त ऑटो रिक्शा, टैक्सी से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

० *सड़क मार्ग:* देश के कई प्रमुख शहरों से कई नीचे स्थानीय बेस निकलती है जो विशेषता जगन्नाथ मंदिर दर्शन करने वाले भक्तों के लिए होती हैं।

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