हर शनिवार करें दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ: शनि देव की कृपा से धन-संपत्ति, सफलता और बाधाओं से मुक्ति मिलेगी

शनिवार को दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करने से शनि देव की कृपा मिलती है। साढ़े साती, ढैय्या और जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं। धन-संपत्ति, करियर और मानसिक शांति बढ़ती है।

हर शनिवार करें दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ: शनि देव की कृपा से धन-संपत्ति, सफलता और बाधाओं से मुक्ति मिलेगी
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हर शनिवार करें दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ: शनि देव की कृपा से मिलेगी धन-समृद्धि, दूर होंगी बाधाएँ

शनिवार को शनि देव की आराधना क्यों होती है विशेष

हिंदू ज्योतिष में शनि देव को न्याय का देवता और कर्मफल दाता कहा गया है। शनि व्यक्ति के जीवन में अनुशासन, संघर्ष, सफलता, आयु और कर्म के परिणामों को नियंत्रित करते हैं। शनिवार का दिन शनि देव को समर्पित माना जाता है और इसी दिन उनकी पूजा से साढ़े साती, ढैय्या, शनि दोष और जीवन में चल रही रुकावटों से राहत मिलती है। ऐसी मान्यता है कि शनिवार को यदि श्रद्धा और भक्ति के साथ शनि स्तोत्र का पाठ किया जाए, तो शनि देव प्रसन्न होकर धन-संपत्ति, करियर में सफलता और मानसिक शांति प्रदान करते हैं।

दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ: धन, समृद्धि और राहत का उपाय

दशरथकृत शनि स्तोत्र राजा दशरथ द्वारा रचित अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है। प्रचलित कथा के अनुसार, राजा दशरथ ने इस स्तोत्र का पाठ करके शनि देव को प्रसन्न किया था। इसीलिए माना जाता है कि शनिवार के दिन इस स्तोत्र के पाठ से शनि दोष शांत होते हैं, बाधाएँ दूर होती हैं और सौभाग्य बढ़ता है। विशेष रूप से धन-संबंधी समस्याएँ, करियर में रुकावटें, न्यायिक मामले और मानसिक तनाव में यह स्तोत्र अत्यंत लाभप्रद माना जाता है। जो व्यक्ति नियमित रूप से इसका पाठ करते हैं, उन्हें शनि देव की असीम कृपा प्राप्त होती है।

शनि स्तोत्र: शनि देव को प्रसन्न करने का दिव्य मार्ग

इस स्तोत्र में शनि देव के स्वरूप, उनके तेज, उनके रूपों और उनकी शक्ति का वर्णन मिलता है। पाठ के दौरान शनि देव की कृपा से नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। शनिवार के दिन काले तिल, तेल, उड़द, नीले वस्त्र और लोहा चढ़ाकर इस स्तोत्र का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से शनि देव व्यक्ति को कठिनाइयों से उबारते हैं, कर्ज से राहत देते हैं और जीवन में आनंद तथा स्थिरता प्रदान करते हैं।

शनि देव की आरती: पूजा का संपूर्ण लाभ प्राप्त करने का माध्यम

शनि स्तोत्र के बाद की जाने वाली आरती पूजा को पूर्ण बनाती है। आरती के माध्यम से भक्त शनि देव को अपनी भक्ति अर्पित करता है और उनसे रक्षा, समृद्धि और सुख की कामना करता है। यह आरती शनि की कृपा बढ़ाती है, दुर्भाग्य को दूर करती है और जीवन में शुभता का संचार करती है।

शनि देव की आरती

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।

सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥

जय जय श्री शनि देव….

श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।

नी लांबर धार नाथ गज की असवारी॥

जय जय श्री शनि देव….

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।

मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥

जय जय श्री शनि देव….

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।

लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥

जय जय श्री शनि देव….

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।

विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥

जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।

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