Vastu Shastra Dakshin-Purv Disha :वास्तु शास्त्र में दक्षिण-पूर्व दिशा को अग्नि का स्थान माना गया है। वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण-पूर्व दिशा का सही तरीके से उपयोग करने से जीवन में सुख, शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है।

Vastu se Ghar mein sukh shanti kaise layein Vastu Shastra Mein Dakshin-Purv Disha Ka Mahatva

Vastu Shastra Dakshin-Purv Disha :वास्तु शास्त्र में दक्षिण-पूर्व दिशा को अग्नि का स्थान माना गया है। वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण-पूर्व दिशा का सही तरीके से उपयोग करने से जीवन में सुख, शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है।
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Vastu ShastraDakshin-Purv Disha :हर व्यक्ति के जीवन में वास्तु का बहुत महत्व है। वास्तु का सही पालन करके हम अपने जीवन में सुख-शांति ला सकते हैं। वास्तु के अनुसार सही दिशा में सोना हमारे लिए बहुत जरूरी है क्योंकि गलत दिशा में सोने पर कई बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं। थकान भरे जीवन में एक अच्छी और टेंशन मुक्त नींद की जरूरत हर किसी को है।

वास्तु शास्त्र जीवन को सुखमय और शांतिपूर्ण बनाने में मदद करता है। जिस तरह सही खानपान और दिनचर्या हमारे जीवन पर असर डालती है, उसी तरह घर की दिशाओं का सही उपयोग भी हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

वास्तु शास्त्र में हर दिशा का एक विशेष महत्व है, और इनमें से दक्षिण-पूर्व दिशा, जिसे अग्नि का स्थान माना जाता है, सबसे अहम मानी जाती है। यह दिशा अग्नि तत्व का प्रतिनिधित्व करती है और अगर इसका सही उपयोग किया जाए, तो घर में खुशहाली, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है।

वास्तु में दक्षिण-पूर्व दिशा में रसोईघर

वास्तु शास्त्र के अनुसार रसोईघर के लिए सबसे उचित स्थान दक्षिण-पूर्व दिशा मानी गई है। यह दिशा अग्नि तत्व की होती है, और चूंकि रसोई में अग्नि का प्रयोग होता है, इसलिए यह दिशा इस कार्य के लिए सबसे उपयुक्त है।

इस दिशा में बना रसोईघर न केवल भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाता है, बल्कि घर के लोगों के स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक असर डालता है। ऐसा माना जाता है कि दक्षिण-पूर्व में बना किचन घर के लोगों की उम्र को बढ़ाता है और उनके शरीर को रोगमुक्त रखता है।

रसोईघर में चूल्हा दक्षिण-पूर्व कोने में होना चाहिए और खाना बनाते समय मुंह पूर्व की ओर रखना चाहिए। इस दिशा में फ्रिज, माइक्रोवेव, टोस्टर और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण रखना भी शुभ होता है।

वास्तु में मुख्य द्वार की दिशा

वास्तु के अनुसार घर का मुख्य द्वार दक्षिण-पूर्व दिशा में हो सकता है, लेकिन इसकी बनावट और स्थिति वास्तु नियमों के अनुसार होनी चाहिए। यह ध्यान रखना जरूरी है कि मुख्य द्वार साफ-सुथरा और आकर्षक होना चाहिए। दरवाजे के पास सकारात्मक चिन्ह जैसे "स्वस्तिक" या "ॐ" बनाना भी शुभ माना जाता है।

दक्षिण-पश्चिम दिशा में मुख्य द्वार नहीं होना चाहिए क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ा सकती है और घर में तनाव और अस्थिरता ला सकती है।

वास्तु में बैडरूम और दक्षिण-पूर्व दिशा

दक्षिण-पूर्व दिशा में रसोई बनवाना शुभ होता है, लेकिन इस दिशा में शयनकक्ष होना अनुचित माना जाता है, खासकर विवाहित जोड़ों के लिए।अगर पति-पत्नी इस दिशा में सोते हैं तो उनके बीच अनबन, तनाव और विवाद की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा नींद की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है और मन अशांत रहता है।

अगर किसी कारणवश शयनकक्ष इसी दिशा में बन गया हो, तो उसमें हल्के रंगों का प्रयोग करके और कुछ वास्तु उपाय अपनाकर नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है।

वास्तु में रंगों का महत्व

वास्तु में रंगों का भी बहुत महत्व है। दक्षिण-पूर्व दिशा में हल्के और शांत रंगों का उपयोग करना शुभ होता है। इस दिशा में हल्का क्रीम, हल्का हरा, गुलाबी या नारंगी रंग का उपयोग किया जा सकता है। इन रंगों से कमरे में संतुलन बना रहता है और मन को शांति मिलती है। अगर इस दिशा में कोई कमरा हो तो उसे हल्के रंगों से पेंट करना चाहिए।

वास्तु में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण

इस दिशा में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण रखना शुभ होता है। टीवी, ओवन, गीजर, मिक्सर, ग्राइंडर जैसे उपकरण इस दिशा में रखें, ताकि ऊर्जा का प्रवाह संतुलित बना रहे। इस दिशा अग्नि तत्व की है, इसलिए यहां इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएं सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने का काम करती हैं।

वास्तु में शुभ मूर्तियां और प्रतीक

वास्तु शास्त्र में कुछ विशेष मूर्तियों और प्रतीकों का उपयोग करके सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाया जा सकता है। दक्षिण-पूर्व दिशा में कामधेनु गाय की मूर्ति रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

कामधेनु को सभी इच्छाएं पूरी करने वाली गाय माना गया है। इसके अलावा, इस दिशा में खरगोश के जोड़े की मूर्ति रखने से चिंता कम होती है और मानसिक शांति मिलती है।

ये मूर्तियां घर की सजावट में भी योगदान देती हैं और साथ ही घर में सकारात्मक ऊर्जा का वातावरण बनाए रखती हैं।

घर की बनावट ही नहीं, बल्कि सोने की दिशा भी हमारे स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति पर असर डालती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा की ओर सिर रखकर सोना सबसे अच्छा माना गया है।

इससे नींद अच्छी आती है, तनाव कम होता है और सुबह उठने पर व्यक्ति तरोताजा महसूस करता है। उत्तर दिशा की ओर सिर करके सोने से बचना चाहिए क्योंकि इससे चिंता, थकान और मानसिक अस्थिरता बढ़ सकती है।

जीवन को सकारात्मक दिशा देने वाली एक विज्ञान है। अगर हम इसे सही रूप से अपनाएं, तो हमारा घर न केवल सुंदर दिखेगा बल्कि उसमें रहने वाले लोग भी खुशहाल और स्वस्थ रहेंगे।

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