इन समयों पर न बजाएं घंटी और शंख | पूजा का फल घट सकता है, जानें शास्त्रों के महत्वपूर्ण नियम
पूजा में घंटी और शंख की ध्वनि शुभ मानी जाती है, लेकिन गलत समय पर बजाने से पूजा का फल कम हो जाता है। जानें कब बजाना चाहिए और कब नहीं—शास्त्रीय नियमों सहित।

दिन में इन समयों पर न बजाएं घंटी और शंख, नहीं मिलेगा पूजा का फल – जानें शास्त्रों में बताए महत्वपूर्ण नियम
पूजा में घंटी और शंख का महत्व
हिंदू धर्म में घंटी और शंख को अत्यंत पवित्र माना गया है। माना जाता है कि इनकी ध्वनि से वातावरण की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है। पूजा के दौरान इनकी ध्वनि से मन एकाग्र होता है और देवताओं की कृपा प्राप्त होती है। शास्त्रों में इन्हें बजाने के समय और दिशा से जुड़े नियम स्पष्ट रूप से बताए गए हैं, जिनका पालन करना जरूरी है।
कब बजाना चाहिए घंटी और शंख
शास्त्रों के अनुसार पूजा के समय, देवताओं को स्नान कराते समय और भोग लगाते समय घंटी या शंख बजाना शुभ माना गया है। भोग लगाते समय पांच बार घंटी बजाने का विधान है, जिससे भगवान भोग को स्वीकार करते हैं। आरती के समय दाहिने हाथ से केवल तीन बार ही घंटी बजानी चाहिए।
कब नहीं बजानी चाहिए घंटी और शंख
सूर्यास्त के बाद घंटी या शंख बजाने की मनाही होती है। माना जाता है कि इस समय देवी-देवता विश्राम में होते हैं और ध्वनि नाद से उनके विश्राम में बाधा आती है। ऐसे में पूजा करने पर पूर्ण फल नहीं मिलता और देवता रुष्ट भी हो सकते हैं। इसलिए शाम के बाद बिना आवश्यकता के घंटी या शंख न बजाएं।
कौन सी घंटी होती है सबसे शुभ
पीतल की घंटी को सबसे शुभ माना गया है। इसकी ध्वनि तुरंत नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती है। विशेष रूप से वह घंटी शुभ मानी जाती है, जिस पर गरुड़ की नक्काशी हो। इसे गरुड़ घंटी कहा जाता है और इसे घर या मंदिर में रखना अत्यंत लाभकारी माना जाता है।
घंटी और शंख रखने की सही दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार घंटी को हमेशा पूजा स्थल या मंदिर के प्रवेश द्वार के पास रखना चाहिए। इसे दक्षिण दिशा में रखने से बचना चाहिए।
शंख को पूजा कक्ष में उत्तर, पूर्व या ईशान (उत्तर-पूर्व) दिशा में रखना शुभ होता है। शंख को कभी खाली न रखें, बल्कि इसमें गंगाजल या शुद्ध जल भरकर रखना चाहिए। दक्षिणावर्ती शंख को सबसे शुभ माना जाता है, जो मां लक्ष्मी की कृपा का प्रतीक है और घर में धन-संपत्ति को आकर्षित करता है।

