सुनहला पहनने से खुलते हैं धन–समृद्धि के रास्ते | जानें किन राशियों को मिलता है लाभ और क्या है सही विधि
सुनहला रत्न धन–समृद्धि, भाग्य वृद्धि और मानसिक शांति देने वाला माना जाता है। जानें किन राशियों को सूट करता है, इसके लाभ और इसे पहनने की सही ज्योतिषीय विधि।

सुनहला पहनने से खुल सकते हैं धन–समृद्धि के रास्ते, जानें किन राशियों को देता है अपार लाभ और क्या है धारण करने की सही विधि
रत्न शास्त्र में सुनहला एक महत्वपूर्ण उपरत्न माना जाता है, जिसे पुखराज का विकल्प कहा जाता है। पुखराज महंगा होने के कारण बहुत लोग इसकी जगह सुनहला धारण करते हैं। इसका सीधा संबंध गुरु बृहस्पति से है, इसलिए यह मन, बुद्धि, भाग्य और सम्मान को मजबूत करने वाला माना जाता है। सही व्यक्ति अगर इसे सही विधि से धारण करे, तो यह आर्थिक उन्नति, पद–प्रतिष्ठा और मानसिक शांति प्रदान करता है।
किन लोगों को सूट करता है सुनहला
यदि जन्मपत्री में गुरु बृहस्पति शुभ या उच्च स्थिति में हैं, तो सुनहला धारण करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। कर्क लग्न वालों के लिए गुरु भाग्येश होते हैं, इसलिए ये लोग इस उपरत्न को सुरक्षित रूप से पहन सकते हैं।
मीन और धनु लग्न वाले जातकों के लिए भी सुनहला उपयुक्त माना गया है, क्योंकि इन राशियों के स्वामी स्वयं गुरु हैं। इसके अलावा, यदि कुंडली में गुरु कमजोर हों तो सुनहला लाभ दे सकता है, लेकिन यदि गुरु नीच के हों तो इस उपरत्न को पहनने की सलाह नहीं दी जाती।
सुनहला पहनने से होने वाले लाभ
सुनहला धारण करने से व्यक्ति की संचार क्षमता बेहतर होती है और निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होती है। व्यापार में बार-बार नुकसान हो रहा हो, तो विशेषज्ञों की सलाह पर सुनहला पहनना लाभदायक हो सकता है।
यह रत्न लक्ष्य प्राप्ति में सहायक माना गया है और विद्यार्थियों के लिए भी उपयोगी है, खासकर वे बच्चे जो पढ़ाई में कमजोर हैं। सुनहला मानसिक शांति देता है और समाज में मान–सम्मान बढ़ाने में मदद करता है। कई लोगों को यह उपरत्न नौकरी, करियर और नेतृत्व क्षमता में भी प्रगति दिलाता है।
कैसे पहनें सुनहला: क्या है सही विधि
सुनहला कम से कम 8 से सवा 8 रत्ती का धारण करना चाहिए। इसे गुरुवार के दिन पहनना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन बृहस्पति को समर्पित है।
यह उपरत्न सोने या चांदी की अंगूठी में जड़वाकर तर्जनी उंगली में पहना जाता है। पहनने से पहले इसे कच्चे दूध और गंगाजल से शुद्ध करना आवश्यक है। रत्न धारण करने के बाद गुरु ग्रह से संबंधित दान करना शुभ माना गया है, जिसे मंदिर के पुजारी को दक्षिणा के साथ दिया जाता है। दान देने के बाद गुरुदेव का आशीर्वाद लेना उत्तम माना जाता है।

