Nirjala Ekadashi 2025: भीम की भूख से मोक्ष की राह तक, 6 जून 2025 को ही निर्जला एकादशी और गायत्री जयंती का महासंयोग

कुंती पुत्र भीम, जिनकी भूख अपार थी, कभी भी उपवास नहीं कर पाते थे। जब उन्होंने देखा कि सभी लोग एकादशी व्रत से पुण्य कमा रहे हैं, तो उन्हें चिंता हुई। वे सीधे पहुँचे महर्षि वेदव्यास के पास और उपाय पूछा

Nirjala Ekadashi kab ki hai
X

Nirjala Ekadashi 2025: जब कुंती पुत्र भीम को भी चाहिए था पुण्य, लेकिन बिना भूखे रहे — तो हुआ कुछ ऐसा, जिससे जन्मी निर्जला एकादशी की परंपरा। जानिए पूरी कथा!

Nirjala Ekadashi 2025 की तिथि व समय

6 जून 2025 को शुक्रवार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि है

व्रत आरंभ: 6 जून 2025, शुक्रवार सुबह 2:16 बजे से एकादशी लग रही है

व्रत समाप्त: 7 जून 2025, शनिवार सुबह 4:48 बजे तक एकादशी रहेगी

विशेष योग: इस दिन गायत्री जयंती भी है, अतः छात्रों को गायत्री मंत्र का जाप करना विशेष फलदायक होगा।

गायत्री मन्त्र: "ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्"

क्या है निर्जला एकादशी का रहस्य?

जब कुंती पुत्र भीम, जिनकी भूख अपार थी, कभी भी उपवास नहीं कर पाते थे। जब उन्होंने देखा कि सभी लोग साल भर के 24 एकादशी व्रत व पूजा पाठ कर के पुण्य कमा रहे हैं, तो उन्हें चिंता हुई। वे सीधे पहुँचे महर्षि वेदव्यास जी के पास और उपाय पूछा।

वेदव्यास जी ने कहा:

हे भीम! तुम साल भर की सभी 24 एकादशियों का पुण्य एक ही दिन में पा सकते हो — लेकिन शर्त यह है कि इस दिन जल का भी सेवन न करना।"

बस, तभी से इस व्रत का नाम पड़ा "निर्जला एकादशी", और इसे भीम एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाने लगा।

गायत्री जयंती: मंत्र शक्ति का पर्व

इस दिन माता गायत्री का अवतरण हुआ था। अतः इस शुभ अवसर पर ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् महामंत्र का 108 बार जाप करना अद्भुत लाभ देता है —जैसे की मानसिक शुद्धि, आध्यात्मिक उन्नति, और रोगों से मुक्ति

Nirjala Ekadashi व्रत के लाभ

सभी 24 एकादशियों का पुण्य अकेले इस एक उपवास से मिल जाता है साथ ही पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अग्रसर होते हो और जल, अन्न, छाता, वस्त्र आदि का दान करने से विशेष पुण्य मिलता है साथ में भगवन विष्णु की कृपा होती है,

व्रत कैसे करें?

1. सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें

2. भगवान विष्णु और तुलसी का पूजन करें

3. दिन भर निर्जल उपवास करें (जल तक ग्रहण न करें)

4. शाम को दीप जलाएं और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें

5. अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन व वस्त्र दान करें


*स्रोत: यह विवरण Prashasra Lite 9.0 पंचांग से लिया गया है

Tags:
Next Story
Share it