जल कब का है 2025: सावन का जल कब चढ़ेगा? | सावन शिवरात्रि कब है?
सावन शिवरात्रि की ये है सही तारीख, जानें जल चढ़ाने का शुभ मुहूर्त

हर साल फाल्गुन माह और सावन माह का शिव के भक्तों को विशेष इंतजार रहता है, क्योंकि ये दोनों ही माह शिव और उनके भक्त...दोनों को प्रिय हैं। शिव भक्त अपने आराध्य शिव को मनाने के लिए दूर दूर से गंगाजल लेकर महादेव को चढ़ाते हैं और उन्हें प्रसन्न करके उनकी कृपा प्राप्त करते हैं। वहीं अब सावन मास चल रहा है और शिव के भक्त लंबी लंबी यात्रा करके गंगाजल लेने के लिए अपने घरों से निकल पड़े हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि सावन शिवरात्रि की सही तिथि क्या है और चारों प्रहर में शिवपूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त क्या रहेगा। तो आइए जानते हैं सावन शिवरात्रि और चारों प्रहर की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त के बारे में...
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, देवशयनी एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी तो योगनिंद्रा में चले जाते हैं और सृष्टि के पालन का भार भगवान शिव संभालने के लिए पृथ्वी पर आ जाते हैं। वहीं, हिंदू पंचांग के अनुसार, इसी दौरान महादेव का प्रिय मास सावन भी प्रारंभ हो जाता है और शिव भक्त महादेव को प्रसन्न करने के लिए पवित्र गंगाजल लेने के लिए कठिन यात्रा करते हैं और शिवरात्रि के दिन शुभ मुहूर्त में शिव को चढ़ाकर अपनी यात्रा को विराम देते हैं।
सावन शिवरात्रि तिथि 2025 (Sawan Shivrari 2025 Date)
सावन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन सावन मास की शिवरात्रि मनाई जाती है। वहीं साल 2025 में सावन मास की शिवरात्रि 23 जुलाई 2025, दिन बुधवार को मनायी जाएगी।
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होगी : 23 जुलाई 2025 को प्रातः 4:39 बजे से
चतुर्दशी तिथि समाप्त होगी : 24 जुलाई 2025 को प्रातः 2:28 बजे
चार प्रहर की पूजा का समय (Char Prahar puja time)
प्रथम प्रहर की पूजा - शाम 7:17 से 9:53 रात्रि तक
द्वितीय प्रहर की पूजा - रात्रि 9:53 से 12:28 रात्रि तक
तृतीय प्रहर की पूजा - रात्रि 12:28 से 3:03 तक
चतुर्थ प्रहर की पूजा - रात्रि 3:03 से प्रातः 5:38 तक
जल चढ़ाने का सबसे अच्छा मुहूर्त
अचार्य अनिल कुमार सिंह जी ने बताया की हिंदू पंचांग की मानें तो साल 2025 की सावन शिवरात्रि अर्थात चतुर्दशी तिथि 23 जुलाई को ब्रह्म मुहूर्त की बेला में आरंभ हो रही है, शास्त्रों की मानें तो यह समय ध्यान-साधना, भजन और पूजन के लिए पवित्र माना जाता है। इसीलिए अगर आप ब्रह्म मुहूर्त की पवित्र बेला में महादेव का ध्यान-साधना, पूजा और उन्हें सुबह 04:21 AM – 05:09 AM तक जल अर्पित करते हैं तो शुभ रहेगा। वहीं, आप इस दिन किसी भी समय महादेव को जल अर्पित कर सकते हैं।
शास्त्रों की मानें तो शिवरात्रि के दिन शिव का ध्यान और भजन आदि करने का विधान है। इस दिन रात्रि में कीर्तन-जागरण करने की भी परंपरा है। वहीं इस दिन चार प्रहर की पूजा का भी विशेष महत्व होता है, मान्यता है कि चार प्रहर की पूजा करने से व्यक्ति की मनोकामना पूरी होती है।
शिवरात्रि पूजा विधि
शिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान आदि करें और इसके बाद महादेव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प करें। साथ ही महादेव का धूप,दीप, गंगाजल, कच्चे दूध, दही, पंचामृत आदि से अभिषेक करें। साथ ही महादेव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, फल, फूल आदि चढ़ाएं। साथ ही शिवलिंग पर चंदन का लेप लगाएं। इसके बाद भगवान शिव की आरती करें और शिवलिंग का आधी परिक्रमा करें। साथ ही पूजन में हुई भूल की महादेव से क्षमायाचना करें।
शिव क्षमा प्रर्थना
करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा । श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधं ।
विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व । जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥