एकादशी व्रत क्यों हो जाता है खंडित, प्रेमानंद महाराज ने बताई ये खास वजह

एकादशी व्रत को सभी व्रतों में उत्तम व्रत माना जाता है। कहा जाता है कि एकादशी व्रत करने वाला व्यक्ति कभी भी नर्कगामी नहीं होता है। वह व्यक्ति संसार के सभी सुखों को भोगकर अंत में बैकुंठ धाम को जाता है। वहीं, विख्यात प्रेमानंद महाराज ने एकादशी व्रत के बारे में बताया है और उन्होंने कहा है कि एकादशी व्रत में क्या सावधानी रखना जरुरी है। तो आइए जानते हैं प्रेमानंद महाराज की एकादशी व्रत के विषय में बताई गई सभी बातों के बारे में...
वैसे तो एकादशी व्रत प्रत्येक महीने में दो बार यानि शुक्ल पक्ष की एकादशी और कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है, लेकिन एकादशी व्रत में कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरुरी माना जाता है। क्योंकि एकादशी व्रत का पुण्य अक्षय माना जाता है, इसीलिए इस व्रत को पूरे विधि विधान से किया जाता है। वहीं प्रेमानंद महाराज की मानें तो एकादशी व्रत को निर्जला करना चाहिए, लेकिन अगर आप इस व्रत को निर्जला नहीं कर सकते हैं तो एकादशी के दिन ना किसी अन्य व्यक्ति के घर एकादशी के दिन जाना चाहिए और ना ही किसी अन्य व्यक्ति के घर एकादशी के दिन जलपान करना चाहिए। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपका व्रत खंडित हो सकता है। इसीलिए एकादशी के दिन व्रत के दौरान आपको किसी भी व्यक्ति के घर जाने से परहेज करना चाहिए।
वहीं, प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि एकादशी के दिन बार-बार खाने से बचना चाहिए और इस दिन आप केवल एक बार फलाहार कर सकते हैं और कई बार केवल जल का पान कर सकते हैं। अगर आप एकादशी के दिन एक से अधिक बार फलाहार भी करते हैं तो आपको एकादशी व्रत का पुण्य प्राप्त नहीं होता है।
प्रेमानंद महाराज की मानें तो एकादशी के दिन जितना अधिक हो सके मौन रहना चाहिए। इस दिन को ध्यान-साधना और प्रभु चिंतन में व्यतीत करना चाहिए। एकादशी के दिन किसी भी व्यक्ति से कड़वे वचन नहीं बोलने चाहिए और इस दिन दिन में शयन भी नहीं करना चाहिए। वरना एकादशी व्रत का लाभ आपको नहीं मिलेगा।