श्री वैष्णो देवी माता की आरती

हिंदू धर्म में माँ वैष्णो देवी को शक्ति स्वरूपा, त्रिदेवियों (महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली) के सम्मिलित रूप में माना गया है। माता के दरबार में पहुँचने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

श्री वैष्णो देवी माता की आरती
X

श्री वैष्णो देवी माता

श्री वैष्णो देवी की आराधना का महत्व

हिंदू धर्म में माँ वैष्णो देवी को शक्ति स्वरूपा, त्रिदेवियों (महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली) के सम्मिलित रूप में माना गया है। माता के दरबार में पहुँचने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे मन से वैष्णो माता की आरती करता है, उसे सुख, शांति, समृद्धि और मोक्ष प्राप्त होता है।

कहा जाता है कि "जिन पर होती है माता की कृपा, उनके जीवन से हर संकट दूर हो जाता है।"

श्री वैष्णो देवी माता की आरती

जय वैष्णवी माता, मैया जय वैष्णवी माता।

हाथ जोड़ तेरे आगे, आरती मैं गाता॥

शीश पे छत्र विराजे, मूरतिया प्यारी।

गंगा बहती चरनन, ज्योति जगे न्यारी॥

ब्रह्मा वेद पढ़े नित द्वारे, शंकर ध्यान धरे।

सेवक चंवर डुलावत, नारद नृत्य करे॥

सुन्दर गुफा तुम्हारी, मन को अति भावे।

बार-बार देखन को, ऐ माँ मन चावे॥

भवन पे झण्डे झूलें, घंटा ध्वनि बाजे।

ऊँचा पर्वत तेरा, माता प्रिय लागे॥

पान सुपारी ध्वजा नारियल, भेंट पुष्प मेवा।

दास खड़े चरणों में, दर्शन दो देवा॥

जो जन निश्चय करके, द्वार तेरे आवे।

उसकी इच्छा पूरण, माता हो जावे॥

इतनी स्तुति निश-दिन, जो नर भी गावे।

कहते सेवक ध्यानू, सुख सम्पत्ति पावे॥

आरती कैसे करें

1. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2. पूजा थाली में घी/कपूर का दीपक, फूल, अगरबत्ती और नारियल रखें।

3. शंख बजाकर या घंटी बजाकर पूजा आरंभ करें।

4. दीपक को चरण, मध्य और सम्पूर्ण मूर्ति के चारों ओर घुमाएँ।

5. आरती के पश्चात माता के चरणों में पान, सुपारी, मेवा, नारियल और पुष्प अर्पित करें।

6. अंत में "जय माता दी" का उद्घोष करें।

आरती का शुभ समय

सुबह — सूर्योदय के समय आरती करना सर्वोत्तम माना जाता है।

शाम — सूर्यास्त के बाद संध्या आरती विशेष फलदायी होती है।

नवरात्रि और विशेष पर्वों में माता की आरती का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।


Tags:
Next Story
Share it