Mithun Sankranti Ka Mahatva मिथुन संक्रांति का दिन है बहुत खास, इस दिन करें सिलबट्टे की पूजा और राशि के अनुसार दान मिलेगा लाभ

Mithun Sankranti Ka Mahatva मिथुन संक्रांति का महत्व: सूर्य वृष राशि से मिथुन राशि में जाता है तो ये दिन खास होता है। इस दिन दान पुण्य का महत्व है, जानते है राशि के अुसार क्या करें

Mithun Sankranti Ka Mahatva मिथुन संक्रांति का दिन है बहुत खास, इस दिन करें सिलबट्टे की पूजा और राशि के अनुसार दान मिलेगा लाभ
X

Mithun Sankranti Ka Mahatva मिथुन संक्रांति का महत्व मिथुन संक्रांति वह दिन होता है जब सूर्य देव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं। इस बार यह संक्रांति 15 जून (रविवार) को पड़ रही है।महा पुण्य काल सुबह 6:53 बजे से 9:12 बजे तक है। इस शुभ समय में किए गए स्नान, सूर्य पूजा और दान से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।

मिथुन संक्रांति 2025 मुहूर्त

मिथुन संक्रांति आषाढ़ कृष्ण चतुर्थी तिथि को है।

15 जून को सुबह 6 बजकर 53 मिनट पर सूर्य देव मिथुन राशि में प्रवेश करेंगे।

उस क्षण ही मिथुन संक्रांति होगी।

मिथुन संक्रांति का महा पुण्य काल सुबह 6 बजकर 53 मिनट से सुबह 9 बजकर 12 मिनट तक है।

इसका पुण्य काल सुबह 6 बजकर 53 मिनट से दोपहर 2 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।

इस दिन का ब्रह्म मुहूर्त 04:03 ए एम से 04:43 ए एम तक है।

वहीं अभिजीत मुहूर्त 11:54 ए एम से 12:50 पी एम तक है।

मिथुन संक्रांति दिन क्या करना चाहिए?

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र पहनें।

सूर्य देव को जल चढ़ाएं और सूर्य मंत्र या गायत्री मंत्र का जाप करें।

पूजा के बाद दान-पुण्य करें, विशेष रूप से अपनी राशि के अनुसार शुभ वस्तुओं का दान करें।

मिथुन संक्रांति पर सिलबट्टटे की पूजा

मिथुन संक्रांति के दिन सिलबट्टे की पूजा करते हैं।

मिथुन संक्रांति के दिन सिलबट्टे की पूजा करने से पहले साफ पानी और दूध से उसका अभिषेक किया जाता है।

इस प्रक्रिया को वसुमति गढ़वा कहा जाता है।

उसके बाद अक्षत, चंदन, सिंदूर, फूल, फल, धूप, दीप आदि से सिलबट्टे की पूजा की जाती है।

उस दिन से लेकर अगले चार दिनों तक सिलबट्टे का उपयोग नहीं किया जाता है।

उसे एक ही स्थान पर स्थिर रखा जाता है।

इस दिन सिलबट्टे को भूमिदेवी, यानी धरती माता का स्वरूप माना जाता है।

मान्यता है कि मिथुन संक्रांति के दिन से धरती माता रजस्वला रहती हैं।

मिथुन संक्रांति से लेकर अगले चार दिनों तक, यानी 15 जून से लेकर 18 जून तक धरती माता रजस्वला रहेंगी।

इस वजह से सिलबट्टे की पूजा की जाएगी और उसका घर के किसी कार्य में उपयोग नहीं होगा।

जिस प्रकार सभी महिलाओं को मासिक धर्म होता है, उसी प्रकार धरती माता का मासिक धर्म मिथुन संक्रांति को होता है।

मासिक धर्म के कारण मिथुन संक्रांति को रज संक्रांति भी कहा जाता है।

यह मान्यता है कि मिथुन संक्रांति से अगले चार दिनों तक धरती माता स्वयं को मानसून के लिए तैयार करती हैं ताकि अगली फसल अच्छी हो।

मिथुन संक्रांति पर राशि अनुसार दान

मेष राशि

गुड़, लाल वस्त्र, तांबे के बर्तन, गेहूं दान करें

"ॐ घृणि सूर्याय नमः"जाप करें

वृषभ राशि

गाय को रोटी और गुड़, तांबे का सिक्का, लाल चंदन दान करें

गाय को भोजन कराना पुण्यकारी माना जाता है

मिथुन राशि

गेहूं, तांबे के बर्तन, लाल मिर्च, रोली दान करें

पाठ करें: आदित्य हृदय स्तोत्र

कर्क राशि

लाल पुष्प, सेब, अनार, लाल वस्त्र दान करें

सुझाव: घर में पिता का सम्मान करें और उनकी सेवा करें

सिंह राशि

लाल चंदन, तांबे का सिक्का, गुड़, मिश्रीदान करें

"ॐ आदित्याय नमः"जाप करें

सिंह राशि के स्वामी स्वयं सूर्य देव हैं

कन्या राशि

तांबे की थाली, गेहूं, सूर्य देव का चित्र दान करें

रविवार व्रत रखने से लाभ होगा

तुला राशि

लाल चंदन, लाल रेशमी वस्त्र, सूर्य देवी की मूर्ति दान करे

सूर्य के सामने दीपक जलाकर ध्यान करें

वृश्चिक राशि

तांबे के बर्तन, सूरजमुखी के बीज, गुड़, चना दान करें

सूर्य नमस्कार करना लाभकारी होगा

धनु राशि

सूर्य से जुड़ी पुस्तकें, तांबा, लाल कंबल दान करें

"ॐ सूर्याय नमः"जाप करें

मकर राशि

लाल चंदन, लाल मूंगफली, लाल रंग की किताब, गेहूं दान करें

कुंभ राशि

लाल मसूर, तांबे का लोटा, अनार दान करें

आदित्य हृदय स्तोत्रपाठ करें

स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य अवश्य दें

मीन राशि

पीले और लाल फूल, तांबे के फ्रेम वाला शीशा, गुड़, रोटी दान करें।

सूर्य देव की कृपा से जीवन में उन्नति होगी

क्या न करें?

टूटे हुए बर्तन, झूठा भोजन, काले वस्त्र, मांस-मदिरा आदि का दान न करें।

पूजा और दान हमेशा साफ मन और श्रद्धा से करें।

Tags:
Next Story
Share it