माँ सिद्धिदात्री की आरती और महत्व

वरात्रि के नौवें और अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है। वे सभी सिद्धियों की दात्री मानी जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार, सिद्धिदात्री देवी की कृपा से भक्त को आठ प्रकार की सिद्धियाँ (अनिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व) प्राप्त होती हैं।

माँ सिद्धिदात्री की आरती और महत्व
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माँ सिद्धिदात्री

नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है। वे सभी सिद्धियों की दात्री मानी जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार, सिद्धिदात्री देवी की कृपा से भक्त को आठ प्रकार की सिद्धियाँ (अनिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व) प्राप्त होती हैं। वे भक्तों के सभी कार्य सरलता से सिद्ध करती हैं और जीवन में सफलता, ज्ञान और आध्यात्मिक उत्थान प्रदान करती हैं।

आरती माँ सिद्धिदात्री जी की

जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता।

तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।

तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।

जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।

तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।

तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥

तू सब काज उसके करती है पूरे।

कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।

रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।

जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।

महा नंदा मंदिर में है वास तेरा॥

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।

भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥

माँ सिद्धिदात्री की आरती का महत्व

माँ सिद्धिदात्री की कृपा से सभी प्रकार की सिद्धियाँ और विशेष शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।

वे साधकों और योगियों को अलौकिक शक्तियाँ प्रदान करती हैं।

भक्त के जीवन से भय, रोग और पाप समाप्त हो जाते हैं।

घर में माँ की आरती से समृद्धि, सौभाग्य और सफलता आती है।

जो भक्त निरंतर उनका ध्यान करता है, उसे सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों लाभ मिलते हैं।

पूजा विधि

1. प्रातः स्नान करके स्वच्छ और हल्के रंग के वस्त्र पहनें।

2. पूजा स्थल पर माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा/चित्र स्थापित करें।

3. गंगाजल, दूध, दही, शहद और फूल अर्पित करें।

4. धूप-दीप जलाकर आरती गाएँ और नारियल, फल, मिठाई चढ़ाएँ।

5. विशेष रूप से कमल या चंपा के फूल अर्पित करना शुभ माना जाता है।

6. अंत में “ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।

आरती का शुभ समय

सुबह ब्रह्म मुहूर्त में आरती करने से दिव्य ऊर्जा और सकारात्मकता प्राप्त होती है।

संध्या समय दीपक के साथ आरती करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

विशेषकर रविवार को माँ का स्मरण करने से रुके हुए कार्य सिद्ध होते हैं।

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