माँ कालरात्रि की आरती
नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। वे अपने अत्यंत भयंकर स्वरूप में जानी जाती हैं, लेकिन भक्तों के लिए वे शुभ फलदायिनी हैं। माँ कालरात्रि का वर्ण काला है, इनके गले में विद्युत के समान चमकती माला है।

माँ कालरात्रि
नवरात्रि के सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा की जाती है। वे अपने अत्यंत भयंकर स्वरूप में जानी जाती हैं, लेकिन भक्तों के लिए वे शुभ फलदायिनी हैं। माँ कालरात्रि का वर्ण काला है, इनके गले में विद्युत के समान चमकती माला है। इनके चार हाथ हैं — एक हाथ वरमुद्रा, एक हाथ अभयमुद्रा तथा दो हाथों में खड्ग और खप्पर रहता है। माँ सिंह पर सवार होती हैं और भक्तों को भय और संकटों से मुक्ति दिलाती हैं।
आरती माँ कालरात्रि जी की
कालरात्रि जय जय महाकाली।
काल के मुंह से बचाने वाली॥
दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा।
महाचंडी तेरा अवतारा॥
पृथ्वी और आकाश पे सारा।
महाकाली है तेरा पसारा॥
खड्ग खप्पर रखने वाली।
दुष्टों का लहू चखने वाली॥
कलकत्ता स्थान तुम्हारा।
सब जगह देखूं तेरा नजारा॥
सभी देवता सब नर-नारी।
गावें स्तुति सभी तुम्हारी॥
रक्तदन्ता और अन्नपूर्णा।
कृपा करे तो कोई भी दुःख ना॥
ना कोई चिंता रहे ना बीमारी।
ना कोई गम ना संकट भारी॥
उस पर कभी कष्ट ना आवे।
महाकाली माँ जिसे बचावे॥
तू भी भक्त प्रेम से कह।
कालरात्रि माँ तेरी जय॥
माँ कालरात्रि की आरती का महत्व
माँ कालरात्रि की आरती करने से जीवन के सभी भय, शत्रु और नकारात्मक शक्तियाँ समाप्त होती हैं।
यह आरती भक्तों को साहस, आत्मविश्वास और विजय प्रदान करती है।
माँ कालरात्रि की कृपा से अचानक आने वाले कष्ट और आपदाएँ दूर होती हैं।
इनकी आरती करने से साधक के भीतर से भय और संदेह का नाश होता है।
आरती कैसे करें
1. स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें, और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
2. माँ की मूर्ति/चित्र पर लाल फूल, गुड़ और धूप अर्पित करें।
3. पूजा थाली में घी का दीपक और काले तिल रखें।
4. शंख बजाकर माँ का ध्यान करें और आरती आरंभ करें।
5. दीपक को देवी की प्रतिमा पर क्रमशः —
चरणों पर 2 बार,
नाभि पर 1 बार,
पूरे स्वरूप पर 7 बार घुमाएँ।
6. आरती के बाद “ॐ देवी कालरात्र्यै नमः” मंत्र का जप करें।
आरती का शुभ समय
सुबह — सूर्योदय के समय आरती करने से दिनभर निर्भीकता और शक्ति प्राप्त होती है।
शाम — संध्या समय आरती करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर घर में शांति आती है।