वैताल / बैताला देवता मंदिर, भुवनेश्वर

वैताल / बैताला देवता मंदिर, भुवनेश्वर
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वैताल / बैताला देवता मंदिर, भुवनेश्वर

वैताल या बैताला देवता मंदिर, उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में स्थित एक प्राचीन और रहस्यमयी मंदिर है। यह मंदिर तंत्र साधना, शक्ति उपासना और तांत्रिक शैली की वास्तुकला के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इस मंदिर को स्थानीय लोग "बैताल देउळ" के नाम से भी जानते हैं। यह मंदिर मुख्यतः देवी चामुंडा या चामुण्डेश्वरी को समर्पित है, जो दुर्गा का एक उग्र रूप मानी जाती हैं।

भुवनेश्वर को “मंदिरों का शहर” कहा जाता है, और वैताल मंदिर इस शहर के प्रमुख तांत्रिक मंदिरों में से एक है। यहां की मूर्तियाँ, वास्तुकला, और रहस्यमय वातावरण इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाते हैं।

इतिहास और स्थापत्य

वैताल मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था और यह करुवेला वंश के काल से संबंधित माना जाता है। यह मंदिर खंडगिरि पर्वत के पास स्थित है और इसके पास ही बहुत सारे प्राचीन जैन स्मारक भी मिलते हैं।

इस मंदिर की सबसे खास बात इसका स्थापत्य है —

- यह मंदिर खाखरा शैली में बना है, जो ओडिशा की मंदिर वास्तुकला की एक उप-शैली है।

- मंदिर का आकार बैल की पीठ जैसा दिखता है।

- इसमें गर्भगृह अंधकारमय होता है, जो तंत्र साधना के लिए उपयुक्त वातावरण देता है।

- दीवारों पर देवी, भैरव, शव, योगिनियों और तांत्रिक प्रतीकों की नक्काशी है।

गर्भगृह में स्थापित मूर्ति देवी चामुंडा की है, जो भयावह रूप में दिखाई देती हैं —

- एक शव पर बैठी हुई,

- हाथों में खड्ग, त्रिशूल, कपाल आदि,

- गर्दन में खोपड़ियों की माला।

यह तांत्रिक उपासना का केंद्र रहा है, विशेषकर नवरात्रि और अमावस्या की रातों में।

दर्शन का समय

वैताल मंदिर का वातावरण शांत होता है और आम तौर पर श्रद्धालु कम संख्या में होते हैं, क्योंकि यह मुख्यधारा के श्रद्धालुओं से थोड़ा हटकर है।

दर्शन समय :

सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक

शाम 4:00 बजे से रात 8:00 बजे तक

अमावस्या, नवरात्रि और विशेष तांत्रिक पर्वों पर मंदिर विशेष रूप से खुला रहता है और तांत्रिक पूजा होती है।

आरती व पूजा विधि

- मंदिर में नियमित रूप से आरती नहीं होती जैसी अन्य मंदिरों में होती है।

- यहां की पूजा प्रणाली विशेष रूप से तांत्रिक पद्धति पर आधारित होती है।

- अमावस्या की रातों में गुप्त साधनाएं, बलि (प्रतीकात्मक) और चामुंडा देवी की विशेष पूजा की जाती है।

- श्रद्धालु दीप जलाकर, नारियल, सिंदूर, नींबू आदि चढ़ाते हैं जो तांत्रिक पूजा के अंग माने जाते हैं।

कैसे पहुँचें ?

स्थान : वैताल मंदिर, भुवनेश्वर, ओडिशा – यह मंदिर एकमरा क्षेत्र में स्थित है, जो भुवनेश्वर का प्राचीन भाग माना जाता है।

वायु मार्ग :

निकटतम हवाई अड्डा: बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर (लगभग 5–6 किमी)

रेल मार्ग :

भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी लगभग 3–4 किमी है।

सड़क मार्ग :

भुवनेश्वर ओडिशा के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है।

आस-पास के दर्शनीय स्थल

- लिंगराज मंदिर

- राजारानी मंदिर

- मुख्तेश्वर मंदिर

- खंडगिरि और उदयगिरि की गुफाएं

वैताल / बैताला देवता मंदिर एक अनूठा, रहस्यमयी और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है। यह उन श्रद्धालुओं और साधकों के लिए आदर्श स्थान है जो तंत्र साधना, शक्ति पूजा, और गूढ़ तत्त्वज्ञान में रुचि रखते हैं। भुवनेश्वर की ऐतिहासिक यात्रा में यह मंदिर एक गहन और प्रभावशाली अनुभव प्रदान करता है

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