त्रिपुरेश्वर मंदिर, पुरी का अनोखा रहस्य
त्रिपुरेश्वर मंदिर ओडिशा राज्य के पवित्र नगर पुरी में स्थित एक प्रसिद्ध एवं प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव के त्रिपुरेश्वर रूप को समर्पित है। त्रिपुरेश्वर का अर्थ होता है – "त्रिपुर का ईश्वर", यानी वह जो तीनों लोकों (भूत, भविष्य और वर्तमान) का अधिपति हो। यह मंदिर आध्यात्मिक ऊर्जा, सांस्कृतिक धरोहर और वास्तुशिल्प की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

त्रिपुरेश्वर मंदिर, पुरी
त्रिपुरेश्वर मंदिर ओडिशा राज्य के पवित्र नगर पुरी में स्थित एक प्रसिद्ध एवं प्राचीन शिव मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव के त्रिपुरेश्वर रूप को समर्पित है। त्रिपुरेश्वर का अर्थ होता है – "त्रिपुर का ईश्वर", यानी वह जो तीनों लोकों (भूत, भविष्य और वर्तमान) का अधिपति हो। यह मंदिर आध्यात्मिक ऊर्जा, सांस्कृतिक धरोहर और वास्तुशिल्प की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
पुरी जहाँ एक ओर भगवान जगन्नाथ के मंदिर के लिए विश्वविख्यात है, वहीं त्रिपुरेश्वर मंदिर जैसे शिवालय इस नगरी की धार्मिक विविधता और गहराई को दर्शाते हैं।
इतिहास
त्रिपुरेश्वर मंदिर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि यह मंदिर मध्यकालीन काल में निर्मित हुआ था, और यह क्षेत्र भगवान शिव के त्रिपुरासुर संहार से जुड़ी कथाओं के कारण विशेष पवित्र माना जाता है। पुराणों में उल्लेख है कि भगवान शिव ने तीन राक्षसों – त्रिपुरासुरों – का वध कर त्रिपुरेश्वर रूप में प्रतिष्ठित हुए थे।
यह मंदिर ओडिशा के मंदिर स्थापत्य शैली में बना हुआ है, जिसमें कलिंग स्थापत्य शैली के प्रभाव स्पष्ट देखे जा सकते हैं। हालांकि यह मंदिर उतना विशाल नहीं जितना पुरी का जगन्नाथ मंदिर है, परंतु इसकी आध्यात्मिक गरिमा, शांति और रहस्यात्मक वातावरण श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
मंदिर की विशेषताएँ
मुख्य देवता : भगवान त्रिपुरेश्वर (शिव)
गर्भगृह में मूर्ति : शिवलिंग रूप में त्रिपुरेश्वर
स्थापत्य शैली : कलिंग शैली
मंदिर परिसर में : नंदी की प्रतिमा, पार्वती जी का छोटा मंदिर, तथा छोटा सा सरोवर
दर्शन समय
त्रिपुरेश्वर मंदिर हर दिन खुला रहता है। दर्शन का समय इस प्रकार है :-
प्रातःकाल : 6:00 AM – 12:00 PM
सायंकाल : 4:00 PM – 8:30 PM
विशेष दिन जैसे महाशिवरात्रि, सावन सोमवार और प्रदोष व्रत पर विशेष भीड़ होती है।
आरती एवं पूजा विधि
मंदिर में प्रतिदिन तीन बार आरती होती है :
1. मंगल आरती : सुबह 6:30 बजे
2. मध्याह्न आरती : दोपहर 12 बजे
3. शिव संध्या आरती : शाम 6:30 बजे
श्रद्धालु जलाभिषेक, बेलपत्र अर्पण, धूप-दीप अर्पण आदि विधियों से भगवान त्रिपुरेश्वर की पूजा करते हैं। महाशिवरात्रि पर विशेष रुद्राभिषेक, भजन संध्या और जागरण का आयोजन होता है।
यात्रा मार्ग (कैसे पहुँचें ?)
पुरी शहर तक पहुँचना बहुत आसान है क्योंकि यह एक प्रमुख तीर्थस्थल है। त्रिपुरेश्वर मंदिर पुरी के भीतरी क्षेत्र में स्थित है।
रेल मार्ग :
पुरी रेलवे स्टेशन देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। स्टेशन से त्रिपुरेश्वर मंदिर लगभग 3-4 किमी की दूरी पर है।
सड़क मार्ग :
भुवनेश्वर से पुरी लगभग 65 किमी दूर है और नेशनल हाईवे द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
वायु मार्ग :
निकटतम हवाई अड्डा भुवनेश्वर (बीजू पटनायक हवाई अड्डा) है, जो पुरी से 60-65 किमी दूर है।
स्थानिक मार्गदर्शन:
पुरी में लोकल ऑटो-रिक्शा, ई-रिक्शा या टैक्सी द्वारा मंदिर तक आसानी से पहुँचा जा सकता है। स्थानीय लोग इसे “त्रिपुरेश्वर महादेव मंदिर” के नाम से जानते हैं।
त्रिपुरेश्वर मंदिर, पुरी केवल एक धार्मिक स्थल नहीं बल्कि आस्था, शांति और दिव्यता का संगम है। यह मंदिर शिवभक्तों के लिए एक अत्यंत पवित्र तीर्थ है जहाँ वे न केवल भगवान शिव के दर्शन करते हैं, बल्कि आत्मिक शांति और आंतरिक ऊर्जा का अनुभव भी करते हैं। पुरी आने पर केवल जगन्नाथ मंदिर ही नहीं, त्रिपुरेश्वर महादेव के दर्शन भी अवश्य करें।