Shyama Mandir history in Hindi: श्यामा माई मंदिर, जहाँ चिता स्थल बना शक्ति पीठ! दरभंगा की काली माँ करती हैं हर दुःख का अंत

Shyama Mandir history in Hindi: दरभंगा के LNMU परिसर में स्थित श्यामा माई मंदिर सिर्फ एक मंदिर नहीं, बल्कि शक्ति, इतिहास और आस्था का केंद्र है। जानिए कैसे एक चिता स्थल बना माँ काली का दिव्य धाम, मंदिर का इतिहास, दर्शन का समय, पूजा विधि और यात्रा की पूरी जानकारी

Shyama Mandir history in Hindi: श्यामा माई मंदिर, जहाँ चिता स्थल बना शक्ति पीठ! दरभंगा की काली माँ करती हैं हर दुःख का अंत
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Shyama Mandir history in Hindi: दरभंगा, मिथिलांचल की सांस्कृतिक राजधानी, न केवल साहित्य और संगीत के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां के धार्मिक स्थल भी अत्यंत पावन और ऐतिहासिक महत्व के हैं। इन्हीं में एक अत्यंत प्रसिद्ध और श्रद्धेय मंदिर है – श्यामा माई मंदिर, जो ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (LNMU) के परिसर में स्थित है।

*ऐतिहासिक पृष्ठभूमि*

निर्माण वर्ष : 1933

निर्माता : दरभंगा राजवंश के महाराजा कामेश्वर सिंह

यह मंदिर महाराजा के पिता महाराजा रमेश्वर सिंह की चिता स्थली पर बनाया गया था। ऐसी मान्यता है कि चिता की अग्नि से यह स्थान सिद्ध हो गया और काली माँ की शक्ति वहाँ प्रकट हुई।

इसी कारण से इस स्थान को "रमेश्वरी स्थान" या "श्यामा माई स्थान" भी कहा जाता है।

*मंदिर का स्वरूप और विशेषताएँ*

• यह मंदिर नागर शैली में निर्मित है, जिसमें लाल पत्थरों और ईंटों का उपयोग हुआ है।

• मंदिर के गर्भगृह में माँ काली (श्यामा माई) की चार भुजाओं वाली भव्य मूर्ति स्थित है।

• माँ के गले में अक्षरमाला (हिंदी वर्णमाला) की माला है, जो सम्पूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति का प्रतीक मानी जाती है।

•माँ के दाईं ओर भगवान महाकाल, बाईं ओर गणपति, और साथ ही बटुक भैरव विराजमान हैं।

*पूजा-पद्धति एवं धार्मिक आयोजन*

- मंदिर में वैदिक एवं तांत्रिक दोनों विधियों से पूजा की जाती है।

- नवरात्रि (चैत्र और शारदीय) में यहाँ विशेष आयोजन होता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं।

- नवरात्रि के दौरान मंदिर परिसर में मेला, भजन-कीर्तन, कन्या पूजन और रात्री जागरण भी होता है।

- हर अमावस्या, महाशिवरात्रि, काली पूजा और दीपावली जैसे अवसरों पर भी विशेष पूजा होती है।

*दर्शन और खुलने का समय*

सुबह: 5:00 बजे से

रात: 9:00 बजे तक

आरती का समय :-

सुबह : 6:00 बजे (प्रातःकालीन आरती)

शाम : 7:00 बजे (संध्याकालीन आरती)

*कैसे जाएँ ?*

रेलवे से :-

दरभंगा जंक्शन सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जो मंदिर से लगभग 2.5 किमी दूर है।

हवाई मार्ग :-

नजदीकी हवाई अड्डा: दरभंगा एयरपोर्ट, जो लगभग 10–12 किमी दूर स्थित है।

सड़क मार्ग :-

दरभंगा शहर बिहार के सभी प्रमुख शहरों से बस सेवा द्वारा जुड़ा है। दरभंगा से स्थानीय वाहन आसानी से उपलब्ध हैं।

*मंदिर परिसर की अन्य विशेषताएँ*

- मंदिर के पास एक विशाल तालाब है, जिसमें सात पवित्र नदियों का जल समाहित माना जाता है।

- परिसर में और भी कई छोटे मंदिर हैं – जैसे हनुमान मंदिर, शिव मंदिर, गणेश मंदिर, आदि।

- परिसर में बैठने की व्यवस्था, वृक्षों की छाँव, और एक शांतिपूर्ण वातावरण भक्तों को ध्यान एवं भक्ति के लिए प्रेरित करता है।

*आसपास के दर्शनीय स्थल*

1. अहिल्या स्थान – रामायण कालीन पौराणिक स्थल (3 किमी)

2. राज किला, दरभंगा – दरभंगा राजाओं का ऐतिहासिक किला

3. हराही पोखर – एक धार्मिक और ऐतिहासिक जलाशय

4. चंद्रधारी संग्रहालय – मिथिला की संस्कृति और इतिहास को जानने का सुंदर स्थान

श्यामा माई मंदिर, न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि मिथिलांचल की आस्था, शक्ति और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक भी है। दरभंगा आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए यह मंदिर आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर एक अनुभव प्रदान करता है। माँ काली के इस धाम में आकर भक्तों को न केवल शांति मिलती है, बल्कि उनके दुखों का भी निवारण होता है।

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