राष्ट्रांच मंदिर (रसमञ्च), बिष्णुपुर मंदिर की जानकारी पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में स्थित बिष्णुपुर नगर, प्राचीन मल्ल राजाओं की राजधानी रहा है, जो अपनी टेराकोटा शैली के मंदिरों और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है।

राष्ट्रांच मंदिर (रसमञ्च), बिष्णुपुर मंदिर की जानकारी पश्चिम बंगाल
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राष्ट्रांच मंदिर (रसमञ्च), बिष्णुपुर

पश्चिम बंगाल के बांकुरा जिले में स्थित बिष्णुपुर नगर, प्राचीन मल्ल राजाओं की राजधानी रहा है, जो अपनी टेराकोटा शैली के मंदिरों और समृद्ध सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। इन्हीं धरोहरों में से एक है राष्ट्रांच मंदिर, जिसे प्रायः रसमञ्च भी कहा जाता है। यह मंदिर मुख्यतः एक सांस्कृतिक मंच के रूप में ख्यात है, जहाँ पर विभिन्न त्योहारों, रथ यात्राओं व रस उत्सवों का आयोजन किया जाता था।

इतिहास

रसमञ्च का निर्माण 1600 ईस्वी में मल्ल राजा बाया हम्बीर द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर का उद्देश्य धार्मिक अनुष्ठानों की एकता और विभिन्न विष्णु मंदिरों की मूर्तियों को एकत्र कर, आम जनता को दर्शन का अवसर प्रदान करना था। प्रत्येक वर्ष रथयात्रा उत्सव के दौरान, बिष्णुपुर के तमाम विष्णु मंदिरों से मूर्तियाँ लाकर इस मंच पर प्रतिष्ठित की जाती थीं, ताकि श्रद्धालु एक ही स्थान पर सभी देवताओं के दर्शन कर सकें।

इस मंच पर 'रस' अर्थात प्रेम, भक्ति और आनंद की भावनाएँ प्रकट होती थीं। यही कारण है कि इसे 'रस-मञ्च' कहा गया, जो कालांतर में 'रसमञ्च' या 'राष्ट्रांच मंदिर' कहलाया।

वास्तुकला

रसमञ्च की वास्तुकला अद्भुत है। यह एक ऊँचा, चौकोर मंच है, जिसकी दीवारें टेराकोटा (पकी हुई मिट्टी) की सुंदर नक्काशियों से सजी हुई हैं। इसके चारों ओर 36 कमानों वाली दीवारें हैं, जो इसे एक मंडप जैसी संरचना प्रदान करती हैं। ऊपर की छतें पिरामिडनुमा हैं, जो बंगाली वास्तुशैली और मुगल शैली का मिश्रण दर्शाती हैं। यह मंच, एक ही स्थान पर अनेक मूर्तियों की प्रतिष्ठा के उपयुक्त संरचना है।

दर्शन समय

- रसमञ्च वर्ष भर खुला रहता है और आप निम्न समय में यहाँ दर्शन कर सकते हैं:

- दर्शन समय : सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक

- सर्वोत्तम समय : अक्टूबर से मार्च (मौसम सुहावना रहता है)

आरती और उत्सव

हालांकि रसमञ्च पर प्रतिदिन आरती नहीं होती, यह स्थल मुख्यतः त्योहारों, विशेषकर रथयात्रा और दोल उत्सव के समय जीवंत हो उठता है। इन अवसरों पर विभिन्न मंदिरों की मूर्तियाँ यहाँ लाकर प्रतिष्ठित की जाती हैं, और भव्य कीर्तन, भजन तथा नृत्य का आयोजन होता है।

कैसे पहुँचें ? (यात्रा मार्ग)

रेल द्वारा :

बिष्णुपुर रेलवे स्टेशन कोलकाता (हावड़ा) से लगभग 3–4 घंटे की दूरी पर है।

नियमित ट्रेनें उपलब्ध हैं : रूपसी बंगला एक्सप्रेस, बिष्णुपुर एक्सप्रेस आदि।

सड़क मार्ग :

कोलकाता से बिष्णुपुर लगभग 150 किमी दूर है।

राज्य परिवहन और निजी बसें उपलब्ध हैं।

हवाई मार्ग :

निकटतम हवाई अड्डा : कोलकाता अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा)

स्थानीय मार्ग :

बिष्णुपुर रेलवे स्टेशन से रसमञ्च लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

रसमञ्च देखने योग्य क्यों है ?

- यह भारत का एकमात्र ऐसा मंच है जहाँ त्योहारों के दौरान सभी विष्णु मंदिरों की मूर्तियाँ एकत्र की जाती थीं।

- प्राचीन टेराकोटा कला और वास्तुकला की सुंदरता का प्रतीक है।

- यह स्थल धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अन्य प्रमुख स्थल

1. श्याम राय मंदिर

2. जोर बंग्ला मंदिर

3. राधा-माधव मंदिर

4. मदनमोहन मंदिर

5. बिष्णुपुर संग्रहालय

रसमञ्च केवल एक मंदिर या मंच नहीं, बल्कि भक्ति, कला और सांस्कृतिक समरसता का प्रतीक है। यहाँ आने पर आप बंगाल की प्राचीन स्थापत्य कला और धार्मिक भावनाओं की अद्भुत झलक देख सकते हैं। चाहे आप इतिहास प्रेमी हों, कला प्रेमी हों या एक साधारण यात्री—रसमञ्च की भव्यता और शांति आपका मन मोह लेगी।

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