पारशुरामेश्वर मंदिर, भुवनेश्वर

पारशुरामेश्वर मंदिर भुवनेश्वर का एक अत्यंत प्राचीन व प्रसिद्ध शिव मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, और यह न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि स्थापत्य कला की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

पारशुरामेश्वर मंदिर, भुवनेश्वर
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पारशुरामेश्वर मंदिर, भुवनेश्वर

पारशुरामेश्वर मंदिर भुवनेश्वर का एक अत्यंत प्राचीन व प्रसिद्ध शिव मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, और यह न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि स्थापत्य कला की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। मंदिर का नाम दो शक्तिशाली व्यक्तित्वों को जोड़ता है — भगवान पारशुराम, जो भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं, और भगवान ईश्वर (शिव)। मंदिर का निर्माण ऐसा प्रतीत होता है मानो प्रकृति और आध्यात्मिकता एक ही स्थल पर समाहित हो गई हों।

इतिहास

निर्माण काल : लगभग 650 ईस्वी में

निर्माता : शैलोद्भव वंश के शासकों ने

सम्बंध : यह मंदिर शैव मत का प्राचीन उदाहरण है

यह मंदिर भारत के उन पहले मंदिरों में से एक है जिसमें सप्तमातृका (सात देवियों) की मूर्तियाँ एक साथ देखी जा सकती हैं।

यह ओडिशा के कलिंग स्थापत्य शैली की आरंभिक उत्कृष्ट कृति है।

प्रमुख ऐतिहासिक तथ्य :-

- यह पहला ओडिशी मंदिर माना जाता है जिसमें जगमोहन (सभा मंडप) को गर्भगृह के साथ जोड़ा गया।

- मंदिर में दुर्गा, विष्णु, लक्ष्मी, सूर्य, नटराज, और सप्तमातृका जैसी कई देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हैं — यह इस मंदिर को सिंक्रेटिक यानी बहु-आध्यात्मिक स्वरूप भी प्रदान करता है।

वास्तुकला एवं संरचना

पारशुरामेश्वर मंदिर ओडिशा के प्रारंभिक नागर शैली (कलिंग शैली) में निर्मित है। इसकी विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

संरचना :-

मंदिर में दो मुख्य भाग हैं :

- विमान (गर्भगृह का ऊपर उठता हुआ शिखर)

- जगमोहन (सभा मंडप)

- मंदिर की ऊँचाई लगभग 13 मीटर है।

स्थापत्य शिल्प :-

- पूरी मंदिर संरचना रेत-पत्थर से बनी है।

-दीवारों पर नक्काशीदार मूर्तियाँ — जिसमें विभिन्न देवी-देवताओं, मिथकीय जानवरों और समाजिक गतिविधियों को दर्शाया गया है।

- एक अनोखी विशेषता यह भी है कि मंदिर में मौजूद नटराज की मूर्ति 18 भुजाओं वाली है, जो दुर्लभ है।

- सप्तमातृका समूह के साथ वीरभद्र, गणेश, चामुंडा आदि की मूर्तियाँ मंदिर की दीवारों पर खुदी हैं।

दर्शन समय

प्रतिदिन : सुबह 6:00 बजे से शाम 8:00 बजे तक

सुबह – अभिषेक, जल चढ़ाना, आरती

शाम – दीप आरती, शिव स्तुति

श्रद्धालु स्वयं भी पूजा सामग्री लेकर आ सकते हैं या पास की दुकानों से प्राप्त कर सकते हैं।

आरती और पूजा अनुष्ठान

रोजाना : शिव अभिषेक, जलाभिषेक, आरती (सुबह-शाम)

विशेष पूजन दिन :

- महाशिवरात्रि पर हजारों भक्त यहां इकट्ठा होते हैं।

- श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार को विशेष पूजा और भजन होते हैं।

- सावन सोमवारी के दिन शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध, भांग, धतूरा अर्पित किए जाते हैं।

यात्रा मार्ग (कैसे पहुँचे ?)

स्थान : पुराना टाउन, भुवनेश्वर, ओडिशा – 751002

मंदिर भुवनेश्वर के प्रसिद्ध लिंगराज मंदिर के पास स्थित है।

हवाई मार्ग :-

बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर — 4.5 किमी दूरी पर

रेल मार्ग :-

भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन – लगभग 3 किमी

सड़क मार्ग :-

भुवनेश्वर ओडिशा का प्रमुख शहर है और NH-16 से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

आसपास के दर्शनीय स्थल

1. लिंगराज मंदिर – भुवनेश्वर का सबसे बड़ा शिव मंदिर

2. मुख्तेश्वर मंदिर – एक और कलात्मक मंदिर, सुंदर पत्थर शिल्प के लिए प्रसिद्ध

3. राजरानी मंदिर – स्त्री शक्ति की मूर्तियों और मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध

4. भीमबोरा गुफाएँ – प्राचीन बौद्ध अवशेष

5. उदयगिरी और खंडगिरी की गुफाएँ – ऐतिहासिक जैन गुफाएँ

पारशुरामेश्वर मंदिर एक अद्वितीय संगम है — धार्मिक आस्था, शिल्पकला, और इतिहास का। यह भुवनेश्वर के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है और हर श्रद्धालु व कला प्रेमी को यहाँ अवश्य आना चाहिए।

यह मंदिर उस समय की कला, आस्था और समर्पण को दर्शाता है जो आज भी श्रद्धालुओं के मन को छूता है।

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