नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ-सैनथिया: पीठ बनने की पौराणिक कथा को शीर्षक में स्थान देना — यह विशिष्टता बढ़ाता है।
जानिए मन्दिर से जुड़े रहस्य

नंदिकेश्वरी मंदिर पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के सैनथिया नगर में स्थित एक प्रमुख हिंदू शक्तिपीठ है। यह मंदिर देवी पार्वती के "नंदिकेश्वरी" स्वरूप को समर्पित है। यह स्थान धार्मिक आस्था, ऐतिहासिक महत्व और गूढ़ आध्यात्मिक ऊर्जा से ओत-प्रोत है। ऐसा माना जाता है कि यहां माता सती का हार (गहना) गिरा था, इसलिए यह स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।
इतिहास एवं पौराणिक मान्यता
मंदिर का इतिहास सती की कथा से जुड़ा हुआ है। पुराणों के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के मृत शरीर को लेकर तांडव करने लगे, तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर के टुकड़े किए। जहाँ-जहाँ वे गिरे, वहाँ शक्तिपीठ बने।
नंदिकेश्वरी शक्तिपीठ वही स्थान है जहाँ माता का हार (माला) गिरा था। यहां देवी "नंदिकेश्वरी" के रूप में पूजित हैं और भगवान शिव "रुरूभैरव" के रूप में साथ हैं।
वर्तमान मंदिर संरचना आधुनिक काल की है, लेकिन मूल शक्ति की आराधना सदियों से यहां होती रही है। मंदिर में स्थापित माँ की मूर्ति काले पत्थर की बनी है और उसे सिंदूर से सजाया जाता है।
दर्शन का समय
प्रातः : 6:00 बजे से 12:30 बजे तक
सायं : 4:00 बजे से 8:30 बजे तक
विशेष पर्वों पर दर्शन का समय बढ़ाया जाता है, खासकर नवरात्रि, काली पूजा एवं दुर्गा पूजा के समय श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है।
कैसे पहुँचे ? (यात्रा मार्ग)
रेल मार्ग :
सैनथिया जंक्शन नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो मंदिर से लगभग 2 किमी की दूरी पर स्थित है।
सड़क मार्ग :
कोलकाता से सैनथिया की दूरी लगभग 220 किमी है। NH-2B और SH-60 के माध्यम से निजी गाड़ी, बस या टैक्सी से पहुंचा जा सकता है।
वायुमार्ग :
निकटतम हवाई अड्डा – नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (कोलकाता) है
आरती और पूजा विधि
माँ की विशेष आरती : प्रातः एवं संध्या को होती है।
सिंदूर अर्पण : यह मंदिर की विशेष परंपरा है। माँ की मूर्ति को श्रद्धालु सिंदूर अर्पित करते हैं, जिससे वह पूरी लाल नजर आती हैं।
मन्नत का धागा : मंदिर परिसर में एक विशेष वृक्ष है जहाँ भक्तगण मन्नत पूरी होने के लिए धागा बांधते हैं।
मंदिर परिसर की विशेषताएँ
- देवी की मूर्ति एक काले पत्थर की है और खुले मंच पर स्थापित है।
- मंदिर परिसर में भैरव मंदिर, हनुमान मंदिर और एक प्राचीन वटवृक्ष भी स्थित है।
- मंदिर के चारों ओर छोटा सा बाजार है जहाँ से पूजा सामग्री, प्रसाद एवं स्मृति-चिह्न खरीदे जा सकते हैं।
नंदिकेश्वरी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि देवी शक्ति की साक्षात अनुभूति का केंद्र है। शक्तिपीठों की शृंखला में इसकी गरिमा विशेष है।

