मुक्तेश्वर मंदिर भुवनेश्वर : ओडिशा की कलिंग वास्तुकला का रत्न और मोक्ष का पावन धाम

मुक्तेश्वर मंदिर भुवनेश्वर, ओडिशा का एक छोटा किन्तु अत्यंत सुंदर और कलात्मक रूप से समृद्ध मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर ओडिशा की प्राचीन कलिंग वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसे देखकर कला प्रेमी और इतिहासविद् चकित रह जाते हैं।
"मुक्तेश्वर" का अर्थ होता है – मुक्ति प्रदान करने वाला ईश्वर, और यहाँ शिव को मोक्षदाता के रूप में पूजा जाता है।
इस मंदिर को “ओडिशा के मंदिरों का रत्न” कहा जाता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि स्थापत्य, संस्कृति और इतिहास की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इतिहास
मुक्तेश्वर मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुआ था, जब ओडिशा पर सोमवंशी वंश का शासन था। कुछ विद्वान इसे 950-975 ईस्वी के आसपास का मानते हैं।
यह मंदिर उस समय के कलिंग स्थापत्य शैली के संक्रमण काल का प्रतीक है – जब मंदिर वास्तुकला में अधिक कलात्मक जटिलता, तोरण और गेटवे आर्क जैसी सज्जा जुड़ रही थी।
विशेष तथ्य :-
मंदिर का निर्माण किसी एक राजा के नाम से प्रमाणित नहीं है, लेकिन इसे सोमवंशी राजाओं के संरक्षण में बने प्रमुख मंदिरों में गिना जाता है।
यह मंदिर एक प्रमुख सांस्कृतिक और शैव तीर्थस्थल के रूप में उभरा।
वास्तुकला
मुक्तेश्वर मंदिर आकार में भले ही छोटा हो, लेकिन इसकी वास्तुकला अत्यंत समृद्ध और बारीकी से तराशी गई है।
मुख्य संरचना :-
- मंदिर की ऊँचाई लगभग 35 फीट है।
- यह एक विशुद्ध कलिंग शैली में बना है – जिसमें रेखाओं और वक्रों की सामंजस्यपूर्णता देखने को मिलती है।
- इसमें विमान और जगमोहन की प्रमुख संरचनाएं हैं।
तोरणद्वार :-
- यह मंदिर अपने खूबसूरत तोरण (टॉरना) के लिए सबसे प्रसिद्ध है – जो भारतीय मंदिर वास्तुकला में एक अनूठा उदाहरण है।
- इस तोरण पर स्त्रियों की मूर्तियाँ, फूलों की लताएं, वाद्ययंत्र बजाती अप्सराएं, और धार्मिक कथा चित्रों की अद्भुत नक्काशी है।
स्त्री सौंदर्य की मूर्तियाँ :-
मंदिर की बाहरी दीवारों पर नारी जीवन के विभिन्न रूपों – शृंगार करती हुई, दर्पण देखते हुए, केश सजाते हुए, संगीत बजाते हुए स्त्रियाँ उकेरी गई हैं।
यह उस काल की सामाजिक-सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है।
धार्मिक महत्त्व
- यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जिनकी यहाँ मुक्तिनाथ रूप में पूजा होती है।
- मान्यता है कि यहाँ पूजा करने से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- मंदिर में एक पवित्र जल स्रोत भी है, जिसका उपयोग पवित्र स्नान हेतु किया जाता है।
दर्शन समय
खुलने का समय - सुबह 6:30 बजे से
बंद होने का समय - रात्रि 7:30 बजे तक
आरती समय : सुबह 7:00 बजे और शाम 6:30 बजे
अभिषेक पूजा : सुबह और विशेष तिथियों पर भक्त स्वयं कर सकते हैं
आरती और पूजा विधि
- मंदिर में प्रतिदिन द्वितीय आरती, शिव अभिषेक, बेलपत्र अर्पण, धूप-दीप आदि विधियों से पूजा होती है।
- श्रावण मास, महाशिवरात्रि, और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर विशेष पूजा और रात्रि जागरण होता है।
- श्रद्धालु यहां स्वयं दूध, जल, बेलपत्र और फल अर्पित कर सकते हैं।
कैसे पहुँचें ?
ओल्ड टाउन (पुराना शहर), भुवनेश्वर – ओडिशा – 751002
यह लिंगराज मंदिर के पास स्थित है।
हवाई मार्ग -
निकटतम हवाई अड्डा : बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (लगभग 4 किमी)
रेल मार्ग -
निकटतम रेलवे स्टेशन : भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन (लगभग 3 किमी)
सड़क मार्ग -
भुवनेश्वर ओडिशा और देश के सभी प्रमुख शहरों से राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा जुड़ा है
आसपास के प्रमुख दर्शनीय स्थल
1.लिंगराज मंदिर - ओडिशा का सबसे बड़ा शिव मंदिर
2.राजा रानी मंदिर : प्रेम-भावनाओं से युक्त मूर्तिकला
3.परशुरामेश्वर मंदिर : 7वीं सदी का एक और प्रमुख शिव मंदिर
4.खंडगिरी-उदयगिरी गुफाएं : जैन विरासत स्थल
5.एकाम्र वन : प्राचीन वन क्षेत्र, मंदिरों से जुड़ी मान्यता
मुक्तेश्वर मंदिर भारतीय मंदिर वास्तुकला की बारीकियों, धार्मिक श्रद्धा, और सांस्कृतिक समृद्धि का अद्वितीय संगम है। यह छोटा मंदिर कला और भक्ति का ऐसा केन्द्र है, जिसे देखने के बाद मन शांत हो जाता है और आत्मा प्रसन्न।

