Bilaspur Shaktipeeth Travel Guide: जहाँ गिरी थी माता सती की कंधे की हड्डी! जानिए रतनपुर के महामाया शक्तिपीठ का रहस्यमयी इतिहास
Bilaspur Shaktipeeth Travel Guide: भारत देश हमेशा से देवी देवताओं का देश रहा है। पूरे भारत देश में अलग-अलग स्थान पर अलग-अलग मान्यताओं वाले मंदिर स्थापित है जिनमें लोगों की अपार श्रद्धा और विश्वास है।

Bilaspur Shaktipeeth Travel Guide: भारत देश हमेशा से देवी देवताओं का देश रहा है। पूरे भारत देश में अलग-अलग स्थान पर अलग-अलग मान्यताओं वाले मंदिर स्थापित है जिनमें लोगों की अपार श्रद्धा और विश्वास है। भारत के राज्य छत्तीसगढ़ में भी कई ऐसे मंदिर हैं जिनके दर्शन मात्र के लिए श्रद्धालु दूर दराज के क्षेत्रों से आते हैं। ऐसा ही एक ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण मंदिर महामाया मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में रतनपुर में स्थित है जिसको 51 शक्तिपीठों में से एक की मान्यता मिली है और लोग अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए नवरात्रि के समय यहां अवश्य आते हैं। अगर आप भी छत्तीसगढ़ की यात्रा का सोच रहे हैं तो आप रतनपुर में स्थित महामाया मंदिर के दर्शन अवश्य कर सकते हैं।
इस लेख के माध्यम से हम आपको रतनपुर की माता महामाया के मंदिर के बारे में सभी जानकारी देंगे। मंदिर कहां है? मंदिर पहुंचने के लिए सबसे उचित समय कौन सा है? मंदिर की क्या मान्यताएं हैं? मंदिर का क्या इतिहास है?
महामाया मंदिर कहां है?
हिंदू धर्म के अनेक ऐतिहासिक एवं धार्मिक मंदिरों में से एक महामाया मंदिर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के रतनपुर में स्थित है। यह मंदिर हिंदू धर्म के अनेक पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक है जो माता लक्ष्मी और देवी सरस्वती को समर्पित है। रतनपुर शहर को तालाबों का शहर भी कहा जाता है। रतनपुर शहर हरी भरी पहाडियों से घिरा हुआ है और लगभग 150 से अधिक तालाबों का शहर है जो श्रद्धालुओं के साथ-साथ पर्यटकों को भी आकर्षित करता है।
महामाया मंदिर बिलासपुर:
बिलासपुर का यह प्रसिद्ध महामाया मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। जहाँ माता सती का दाहिना कंधा गिरा था। मुख्य मंदिर परिसर के अंदर माता की दोहरी मूर्ति विराजित है। इन मूर्तियों में सामने वाली मूर्ति को महिषासुर मर्दिनी कहा जाता है और पीछे की मूर्ति को देवी सरस्वती का माना जाता है। मंदिर परिसर में भगवान शिव और हनुमान के मंदिर भी स्थापित है। महामाया देवी पूरे रतनपुर शहर की कुलदेवी मानी जाती है।
मंदिर की वास्तुकला:
महामाया मंदिर एक विशाल जल कुंड के बगल में स्थित है और मंदिर का निर्माण नागर शैली की वास्तुकला में बनाया गया है।परिसर के अंदर कांति देवल का मंदिर भी है जो वहां का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है। मंदिर के आसपास कई अन्य मंदिर, गुंबद और किले भी देखे जा सकते हैं।
मंदिर का निर्माण:
मंदिर से जुड़ी किंवदंती यह है कि मंदिर का निर्माण उस स्थान पर हुआ था जहां रतनपुर के राजा रतन देव ने देवी काली के दर्शन प्राप्त किए थे। मंदिर में सर्वप्रथम पूजा और अनुष्ठान भी राजा रतन देव द्वारा ही किया गया था।
दरअसल 1045 ईस्वी में राजा रतन देव ने मणिपुर नाम के गांव में रात्रि के समय एक वृक्ष के नीचे विश्राम करने का निर्णय लिया। आधी रात में जब राजा की आंख खुली तब उन्होंने वहां एक अलौकिक ज्योति की अनुभूति की। तब उन्हें पता चला कि उस स्थान पर आदिशक्ति श्री महामाया देवी की सभा लगी हुई थी। इतना देखने के बाद वह फिर सो गए और सब भूल गए।
अगली सुबह जब उनकी नींद खुली तब वह अपनी राजधानी लौट गए और उन्होंने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया। उसी के बाद राजा ने 1050 ईस्वी में भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था।
मंदिर के संरक्षक बाबा काल भैरव
महामाया मंदिर के संरक्षक के रूप में बाबा काल भैरव को जाना जाता है। जिनका मंदिर महामाया मंदिर पहुंचने वाले रास्ते में हाईवे पर स्थित है। लोगों की प्रचलित मान्यता यह भी है कि महामाया मंदिर में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को अपनी यात्रा और मनोकामना पूर्ति के लिए काल भैरव मंदिर के दर्शन करने भी जाना पड़ता है उसके बाद ही उनकी यात्रा और मनोकामना पूरी होती है।
यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय
अगर आप नवरात्रि के दिनों में माता के दर्शन करना चाहते हैं तो आप चैत्र और कार्तिक नवरात्रि के समय महामाया मंदिर जा सकते हैं। वैसे तो साल भर इस मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती है परंतु साल में सबसे ज्यादा भीड़ नवरात्रि के समय देखने को मिलती हैं।
अगर आप अत्यधिक भीड़ का सामना नहीं करना चाहते तो आप नवरात्रि सीजन को छोड़कर कभी भी आ सकते हैं। श्रद्धालुओं के लिए यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक का हो सकता है। इस समय श्रद्धालुओं को अधिक गर्मी का सामना नहीं करना पड़ता और बरसात के मौसम से भी राहत मिलती है। मौसम बहुत सुहावना रहता है जिससे यात्रा और सुखद हो जाती है।
महामाया मंदिर बिलासपुर कैसे पहुंचे
रतनपुर पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है। मंदिर पहुंचने के लिए भक्ति सड़क मार्ग, रेल मार्ग या हवाई मार्ग का भी उपयोग कर सकते हैं।
- हवाई मार्ग: महामाया मंदिर बिलासपुर पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा बिलसा देवी केवट हवाई अड्डा है। जहां से रतनपुर शहर की दूरी केवल 38 किलोमीटर है। आप हवाई अड्डा से उतरने के बाद ऑटो टैक्सी या परिवहन बसों का भी उपयोग कर सकते हैं जिनका संचालन लगभग हर घंटे ही होता है।
- रेल मार्ग: रेल मार्ग से आने वाले यात्रियों के लिए सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन बिलासपुर रेलवे स्टेशन है। जहां से उन्हें वापस टैक्सी या ऑटो से मंदिर पहुंचना होगा।
- सड़क मार्ग: आपको बता दे कि जो भी भक्त मंदिर सड़क मार्ग से जाना चाहते हैं उनके लिए रतनपुर शहर की दूरी बिलासपुर से लगभग 26 किलोमीटर है। वहीं राज्य की राजधानी रायपुर से रतनपुर की दूरी 143 किलोमीटर है।
- आसपास के मुख्य शहरों से यहां पहुंचने के लिए बस मुख्यत: उपलब्ध होती हैं।