Kapaleeshwarar Temple history: कपालेश्वर मंदिर का रहस्य: जहां मोर रूप में पार्वती ने शिव को पाने की तपस्या की — जानें इतिहास, समय और यात्रा गाइड!

Kapaleeshwarar Temple history: कपालेश्वर मंदिर, चेन्नई का प्राचीन शिव मंदिर, जहां देवी पार्वती ने मोर रूप में शिव को पाने के लिए तपस्या की थी। जानें मंदिर का इतिहास, दर्शन समय, पौराणिक कथाएं और यात्रा गाइड।

Kapaleeshwarar Temple history: कपालेश्वर मंदिर का रहस्य: जहां मोर रूप में पार्वती ने शिव को पाने की तपस्या की — जानें इतिहास, समय और यात्रा गाइड!
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Kapaleeshwarar Temple history:दक्षिण भारत में स्थित कपालेश्वर मंदिर महादेव के 12 ज्योतिर्लिंगों के बाद सबसे श्रेष्ठ मंदिर माना जाता है। हिंदू धर्म के भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित यह मंदिर मनोकामना पूर्ति मंदिर है जहां भक्त अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए दूर-दूर से आते हैं।

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से जानकारी देंगे - कि कपालेश्वर मंदिर कहां पर स्थित है‍? मंदिर कौन से देवी देवता को समर्पित है? कपालेश्वर मंदिर से जुड़ी कथाओं और मान्यताओं के बारे में भी चर्चा करेंगे।

*कपालेश्वर मंदिर चेन्नई :*

भारत एक पवित्र देश है जिसे अनेक देवी देवताओं और ऋषि मुनियों की जन्मभूमि कहलाने का गौरव प्राप्त है । भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित कपालेश्वर मंदिर दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में राजधानी चेन्नई के मायलापुर में स्थित है। महादेव की 12 ज्योतिर्लिंगों के बाद यह सबसे श्रेष्ठ मंदिर माना जाता है। साथ ही मान्यता यह भी है कि यहां स्थित शिवलिंग स्वयं प्रकट हुआ था। स्थानीय लोगों के बीच इस मंदिर को 'वेदपुरी मंदिर' और 'शुक्र पुरी मंदिर' के नाम से भी जाना जाता है।

*मंदिर का निर्माण :*

मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी के करीब पल्लव राजाओं ने किया था। मंदिर की वर्तमान संरचना और वर्तमान स्वरूप विजयनगर के राजाओं द्वारा 16वीं सदी में बनवाया गया है। मंदिर की वास्तु शिल्प बनावट द्रविड़ शैली का अनूठा पेशकश है।

*मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथाएं :*

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती को एक बार एक श्राप मिला था जिसके कारण उन्हें मोर का स्वरूप लेना पड़ा। तब माता पार्वती ने अपना मूल स्वरूप पाने के लिए लंबे समय तक भगवान शिव की आराधना की थी। कई वर्षों की कठोर तपस्या के बाद माता पार्वती में अपने स्वरूप के साथ-साथ भगवान शिव को पा लिया।

एक अन्य मान्यता के अनुसार यह माना जाता है कि मंदिर से उतरते ही जो गोदावरी नदी सामने बहती दिखती है वह मंदिर का प्रसिद्ध रामकुंड है। और पुराणों में इस बात के साक्ष्य मौजूद हैं की यह वही राम कुंड है जिसमें भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध किया था।

*मंदिर खुलने का समय :*

कपालेश्वर मंदिर में भक्त सुबह 6:00 बजे से रात्रि 9:30 बजे तक दर्शन कर सकते हैं। आपको बता दें कि मंदिर दोपहर के समय 12:30 से शाम 4:00 तक बंद रहता है।

*मंदिर की प्रमुख विशेषताएं :*

० भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के बाद सबसे श्रेष्ठ मंदिर माना जाता है।

० भगवान शिव को स्थानीय भाषा में कपालेश्वर और माता पार्वती को कर्पगंबल के नाम से जाना जाता है।

० मंदिर के सामने स्थित कुंड में भगवान राम ने अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध किया था।

० मनोकामना पूर्ति मंदिर में सभी भक्त अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए आते हैं।

० मंदिर में चारों वेदों की पूजा की जाती है और इसी स्थान पर ऋषि शुक्राचार्य ने भी भगवान शिव की तपस्या की थी।

० मंदिर का मुख्य भवन काले रंग के पत्थरों से निर्मित है।

० मंदिर में 63 नयनारों की मूर्तियां बनी हुई है जो आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करती हैं।

० मंदिर परिसर में एक गौशाला भी स्थित है।

*मंदिर कैसे पहुंचे :*

किसी भी यात्रा पर पहुंचने से पहले यह जान लेना बहुत जरूरी है कि वहां पहुंचने के कौन-कौन से साधन उपलब्ध हैं। तो हम आपको बता दें कपालेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए आप हवाई जहाज, रेल या सड़क मार्ग का भी उपयोग कर सकते हैं।

० *हवाई मार्ग :* मंदिर चेन्नई हवाई अड्डे से केवल 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। हवाई अड्डे से उतरने के बाद आप निजी टैक्सी बुक करके या सरकार की बसों द्वारा मंदिर तक पहुंच सकते हैं।

० *रेल मार्ग :* कपालेश्वर मंदिर पहुंचने के लिए सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन है जिसकी दूरी मंदिर से केवल 8 किलोमीटर है।

० *सड़क मार्ग :* कपालेश्वर मंदिर तमिलनाडु के राजधानी चेन्नई शहर से महज़ 8 किलोमीटर दूर है। चेन्नई शहर देश के सभी शहरों से राष्ट्रीय राजमार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। साथ ही चेन्नई राज्य राजमार्ग के द्वारा तमिलनाडु के सभी हिस्सों से भी जुड़ा हुआ है।

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