कल्पचंद मंदिर – इतिहास और भक्ति का संगम
पश्चिम बंगाल के बाँकुड़ा ज़िले में स्थित विष्णुपुर, टेराकोटा मंदिरों के लिए विश्वविख्यात है। यहाँ के मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि बंगाल की स्थापत्य कला और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक भी हैं।

कल्पचंद मंदिर, विष्णुपुर (पश्चिम बंगाल)
पश्चिम बंगाल के बाँकुड़ा ज़िले में स्थित विष्णुपुर, टेराकोटा मंदिरों के लिए विश्वविख्यात है। यहाँ के मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि बंगाल की स्थापत्य कला और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक भी हैं। इन्हीं में से एक कल्पचंद मंदिर है, जो अपनी अनूठी रत्न शैली, टेराकोटा शिल्पकला, और कृष्ण लीला की सुंदर नक्काशियों के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर 17वीं शताब्दी में मल्ल वंश के राजा रघुनाथ सिंह द्वारा बनवाया गया था।
इतिहास
- निर्माण वर्ष : 1656 ईस्वी
- निर्माता : मल्ल वंश के राजा रघुनाथ सिंह
- स्थापत्य शैली : रत्न शैली (मुख्य गुंबद के चारों कोनों पर चार छोटे गुंबद)
- प्रेरणा : वैष्णव भक्ति आंदोलन से प्रेरित होकर इस मंदिर का निर्माण श्रीकृष्ण को समर्पित किया गया।
यह मंदिर उस युग का प्रमाण है जब मल्ल राजाओं ने विष्णुपुर को वैष्णव संस्कृति और कला का केंद्र बनाया।
स्थापत्य एवं विशेषताएं
1. रत्न शैली :
इस शैली में मंदिर के ऊपर पाँच गुंबद होते हैं—एक मुख्य और चार कोनों में छोटे।
कल्पचंद मंदिर इस विशिष्ट शैली का सुंदर उदाहरण है।
2. टेराकोटा नक्काशी :
लाल रंग की ईंटों से बने मंदिर की दीवारों पर सूक्ष्म एवं जीवंत टेराकोटा नक्काशियाँ हैं।
मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं जैसे बाल लीला, रास लीला, गोवर्धन लीला, कालिया नाग मर्दन आदि दृश्यों को दर्शाया गया है।
3. वास्तुशिल्प :
मंदिर एक वर्गाकार चबूतरे पर निर्मित है।
प्रवेश द्वार और बाहरी दीवारें धार्मिक कथाओं, युद्ध, नृत्य, संगीत एवं ग्रामीण जीवन के चित्रणों से सज्जित हैं।
मंदिर की छतें बंगाली झोपड़ी जैसी ढालदार हैं, जो क्षेत्रीय स्थापत्य से प्रभावित हैं।
दर्शन समय
सोमवार से रविवार प्रातः 6:00 बजे से सायं 6:00 बजे तक
विशेष पर्वों और जन्माष्टमी जैसे अवसरों पर दर्शन का समय बढ़ाया जाता है।
मंदिर प्रशासन द्वारा पर्यटकों और भक्तों को टूर गाइड सुविधा भी प्रदान की जाती है।
आरती एवं धार्मिक आयोजन
प्रातः आरती: :- प्रातः 6:30 बजे
सायं आरती :- सायं 5:30 बजे
आरती के समय भजन-कीर्तन और शंखध्वनि मंदिर परिसर को भक्तिमय बना देती है।
जन्माष्टमी, राधाष्टमी, कार्तिक पूर्णिमा जैसे अवसरों पर विशेष पूजन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
कैसे पहुँचें – यात्रा मार्ग
1. हवाई मार्ग :
निकटतम हवाई अड्डा – नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, कोलकाता (लगभग 150 किमी दूर)
2. रेल मार्ग :
निकटतम रेलवे स्टेशन – बिष्णुपुर रेलवे स्टेशन
कोलकाता, हावड़ा, आसनसोल, दुर्गापुर आदि प्रमुख शहरों से सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।
3. सड़क मार्ग :
कोलकाता से विष्णुपुर की दूरी लगभग 140 किमी है।
NH-2 या NH-60 द्वारा बिष्णुपुर पहुँचा जा सकता है।
यात्रा सुझाव
- सर्दियों (नवंबर से फरवरी) में यात्रा करना उत्तम होता है क्योंकि मौसम सुहावना होता है।
- स्थानीय टूर गाइड लेकर अन्य प्रमुख मंदिरों – जैसे रासमंच, श्याम राय मंदिर, जोर बंगला मंदिर, मदनमोहन मंदिर – भी देखे जा सकते हैं।
- नजदीक में बिष्णुपुर म्यूज़ियम में टेराकोटा शिल्प, हस्तशिल्प और मल्ल वंश से जुड़ी वस्तुएँ देखी जा सकती हैं।
कल्पचंद मंदिर, न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह बंगाल की कला, संस्कृति और आध्यात्मिक चेतना का जीवंत प्रतीक भी है। इसकी रत्न शैली की संरचना, कृष्ण लीला पर आधारित नक्काशियाँ और इतिहास से जुड़ी विरासत, इसे भारत के अद्वितीय मंदिरों में स्थान देती हैं। अगर आप इतिहास, धर्म और स्थापत्य कला के प्रेमी हैं, तो यह मंदिर आपकी यात्रा सूची में अवश्य होना चाहिए।