कलिजाई मंदिर, चिलिका झील (उड़ीसा)

कलिजाई मंदिर ओडिशा राज्य के प्रसिद्ध चिलिका झील के बीच एक छोटे से टापू पर स्थित एक दिव्य और प्राचीन मंदिर है, जो देवी काली के एक रूप "जाई" को समर्पित है।

कलिजाई मंदिर, चिलिका झील (उड़ीसा)
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कलिजाई मंदिर, चिलिका झील (उड़ीसा)

कलिजाई मंदिर ओडिशा राज्य के प्रसिद्ध चिलिका झील के बीच एक छोटे से टापू पर स्थित एक दिव्य और प्राचीन मंदिर है, जो देवी काली के एक रूप "जाई" को समर्पित है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसकी आध्यात्मिकता, प्राकृतिक सौंदर्य और लोककथाओं के कारण यह पर्यटकों व श्रद्धालुओं के आकर्षण का प्रमुख केंद्र बना हुआ है।

यह मंदिर गंजाम ज़िले के अंतर्गत आता है और चिलिका झील की सुंदरता के बीच बसा हुआ है, जो एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झीलों में से एक है।

इतिहास एवं पौराणिक कथा

कलिजाई मंदिर से जुड़ी एक लोककथा अत्यंत प्रसिद्ध है। कहते हैं कि एक लड़की जिसका नाम "जाई" था, उसकी शादी एक दूर गाँव में तय हुई थी। विवाह हेतु नाव द्वारा जब वह चिलिका झील पार कर रही थी, तो भयंकर तूफ़ान आ गया और नाव पलट गई। सब तो किसी तरह बच निकले लेकिन जाई का कुछ पता नहीं चला।

कुछ समय बाद, वहाँ के मछुआरों और ग्रामीणों ने अनुभव किया कि उस स्थान पर अलौकिक घटनाएं घटने लगीं। लोगों को विश्वास हुआ कि जाई की आत्मा अब देवी के रूप में इस स्थान पर वास कर रही है। तब से लोग "कलिजाई देवी" के नाम से उसकी पूजा करने लगे। बाद में इस टापू पर मंदिर का निर्माण किया गया।

देवी कलिजाई को मछुआरों, नाविकों और स्थानीय लोगों की रक्षक देवी माना जाता है।

मंदिर की वास्तुकला

मंदिर बहुत सरल किन्तु आध्यात्मिक रूप में निर्मित है। यह एक छोटे टापू पर स्थित है, जहां से चारों ओर चिलिका झील का सुंदर दृश्य दिखता है। मंदिर में देवी की मूर्ति स्थापित है, जो सिंदूर और फूलों से सजी होती है। श्रद्धालु वहाँ नारियल, चुनरी और अन्य पूजा सामग्री अर्पित करते हैं।

दर्शन का समय

कलिजाई मंदिर श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए प्रातः से सायं तक खुला रहता है।

दर्शन का समय :

प्रातः 6:00 बजे से सायं 6:30 बजे तक

आरती और पूजा

मंदिर में प्रतिदिन पूजा व आरती होती है।

प्रमुख आरती समय :

प्रातः काल आरती – 6:30 बजे

सायंकालीन आरती – 6:00 बजे

श्रद्धालु विशेष अवसरों पर पूजा, भोग अर्पण, नारियल फोड़ना, दीप जलाना आदि करते हैं। नवरात्रि और मकर संक्रांति पर यहां विशेष उत्सव होते हैं।

यात्रा मार्ग (कैसे पहुँचें ?)

कलिजाई मंदिर तक पहुँचने के लिए पहले आपको चिलिका झील के तट तक पहुँचना होगा, उसके बाद नाव द्वारा मंदिर टापू तक जाना होता है।

1. सड़क मार्ग :

नजदीकी बड़ा शहर है बरहामपुर — यहाँ से चिलिका झील के तट तक बस या टैक्सी उपलब्ध है।

बलुगाँव या रामबाहा चिलिका झील के प्रमुख घाट हैं जहाँ से नावें चलती हैं।

2. रेल मार्ग :

नजदीकी रेलवे स्टेशन – बालूगांव रेलवे स्टेशन और ब्रह्मपुर रेलवे स्टेशन

3. वायु मार्ग :

निकटतम हवाई अड्डा – भुवनेश्वर (बीजू पटनायक हवाई अड्डा)

यहाँ से सड़क मार्ग द्वारा लगभग 120 किमी की दूरी तय कर चिलिका पहुँचा जा सकता है।

4. नाव यात्रा :

बलुगाँव या रामबाहा घाट से मोटरबोट/डोंगी द्वारा मंदिर टापू तक पहुंचना होता है।

नाव यात्रा की अवधि लगभग 30–45 मिनट होती है।

कब जाएं (उत्तम समय)

- अक्टूबर से फरवरी – यह मौसम यात्रा के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। मौसम ठंडा और सुखद होता है।

- मकर संक्रांति (जनवरी) – इस अवसर पर यहाँ विशाल मेला (कालीजाई मेला) लगता है, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

स्थानीय विशेषताएं

- चिलिका झील में डॉल्फिन देखने का मौका – सतपाड़ा के पास।

- प्राकृतिक सौंदर्य, बर्ड वॉचिंग और शांत वातावरण।

- लोककलाएं, हस्तशिल्प और स्थानीय व्यंजन पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

कलिजाई मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह स्थान प्राकृतिक सौंदर्य, लोककथाओं और मानवीय भावनाओं से भी जुड़ा हुआ है। चिलिका झील की नीली लहरों के बीच बसा यह मंदिर हर आगंतुक को एक अलौकिक अनुभव देता है।

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