जोर बंग्ला मंदिर (केष्टो राय मंदिर) के बारे में जानकारी
बिष्णुपुर (पश्चिम बंगाल) में स्थित जोर बंग्ला मंदिर, जिसे केष्टो राय मंदिर भी कहा जाता है, बंगाल की पारंपरिक स्थापत्य शैली ‘चला शैली’ का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मंदिर ईंट और टेराकोटा (भूरे मिट्टी की सजावटी ईंटों) से बना हुआ है और दीवारों पर उकेरे गए रामायण, महाभारत, कृष्णलीला और पुराण कथाओं के दृश्य इसे एक जीवंत गाथा बनाते हैं।

जोर बंग्ला मंदिर (केष्टो राय मंदिर), बिष्णुपुर
बिष्णुपुर (पश्चिम बंगाल) में स्थित जोर बंग्ला मंदिर, जिसे केष्टो राय मंदिर भी कहा जाता है, बंगाल की पारंपरिक स्थापत्य शैली ‘चला शैली’ का उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मंदिर ईंट और टेराकोटा (भूरे मिट्टी की सजावटी ईंटों) से बना हुआ है और दीवारों पर उकेरे गए रामायण, महाभारत, कृष्णलीला और पुराण कथाओं के दृश्य इसे एक जीवंत गाथा बनाते हैं।
इतिहास
यह मंदिर मल्ल शासक रघुनाथ सिंह द्वारा वर्ष 1655 ई. में बनवाया गया था। बिष्णुपुर के मल्ल शासक कला, संस्कृति और धर्म के महान संरक्षक थे। जोर बंग्ला मंदिर का निर्माण दो परंपरागत बंगाली झोपड़ियों (चाल/छप्पर) को जोड़कर किया गया है—इसीलिए इसका नाम "जोर बंग्ला" पड़ा, जिसका अर्थ है "दो बंगाल-शैली के घर"।
मूल मंदिर पूजा स्थल है और दूसरा भाग मंडप के रूप में कार्य करता है, जिसमें विस्तृत टेराकोटा सज्जाएं की गई हैं। यह मंदिर भगवान कृष्ण (केष्टो राय) को समर्पित है।
स्थापत्य विशेषताएँ
- शैली : चला शैली (Do-Chala और Char-Chala छत)
- सामग्री : लाल/भूरे टेराकोटा ईंटें
- सजावट : टेराकोटा में रामायण, महाभारत, दशावतार, रासलीला, युद्ध, शिकार, नृत्य और दैनिक जीवन के दृश्य
- संरचना : दो बंगला-style संरचनाएं, एक मुख्य गर्भगृह और दूसरा मंडप
दर्शन समय
सोमवार से रविवार सुबह 8:00 बजे – शाम 5:30 बजे तक
यात्रा मार्ग (कैसे पहुँचें ?)
स्थान : बिष्णुपुर, बाँकुरा जिला, पश्चिम बंगाल, भारत
रेल मार्ग :
कोलकाता (हावड़ा स्टेशन) से बिष्णुपुर रेलवे स्टेशन के लिए सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।
सड़क मार्ग :
कोलकाता से बिष्णुपुर की दूरी लगभग 140-150 किमी है।
बसें नियमित रूप से चलती हैं – सरकारी और निजी दोनों।
स्वयं के वाहन से आने पर NH-60 मार्ग सबसे उपयुक्त है।
हवाई मार्ग :
निकटतम हवाई अड्डा कोलकाता का नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है।
वहाँ से सड़क या ट्रेन मार्ग द्वारा बिष्णुपुर पहुँचा जा सकता है।
आरती एवं पूजा
- चूंकि यह मंदिर अब एक संरक्षित स्मारक है (ASI – Archaeological Survey of India द्वारा संरक्षित), यहाँ नियमित आरती या पूजा नहीं होती।
- परंतु, विशेष त्योहारों जैसे जनमाष्टमी पर स्थानीय लोग भगवान केष्टो राय के लिए भजन-कीर्तन करते हैं।
पास के दर्शनीय स्थल
- रासमंच
- मदन मोहन मंदिर
- श्रीधर मंदिर
- डालमडोल तोप
- बिष्णुपुर संग्रहालय
संक्षिप्त विवरण सारणी
मंदिर का नाम जोर बंग्ला मंदिर (केष्टो राय मंदिर)
स्थान बिष्णुपुर, बाँकुरा, पश्चिम बंगाल
निर्माण काल 1655 ई.
स्थापक मल्ल राजा रघुनाथ सिंह
शैली चला शैली (Do-Chala + Mandapa)
मुख्य देवता भगवान केष्टो राय (कृष्ण)
प्रमुख आकर्षण टेराकोटा सज्जा, रामायण व कृष्णलीला दृश्य
दर्शन समय 8:00 AM – 5:30 PM (प्रतिदिन)
प्रवेश शुल्क ₹25 (भारतीय नागरिकों के लिए, ASI नियमानुसार)
जोर बंग्ला मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि बंगाल की स्थापत्य और मूर्तिकला परंपरा का जीता-जागता उदाहरण है। यदि आप भारतीय सांस्कृतिक धरोहर, कला, इतिहास और स्थापत्य के प्रेमी हैं, तो यह मंदिर आपके यात्रा सूची में अवश्य होना चाहिए। इसकी हर ईंट इतिहास से संवाद करती है और हर चित्र कथा कहता है।