Jatmai Temple Travel Guide: जंगलों के बीच बसा जतमई घटारानी मंदिर: रहस्यमयी शिवलिंग से लेकर नाग गुफा तक, जानिए अद्भुत रहस्य!

Jatmai Temple Travel Guide: जतमई घटारानी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के गरियाबंद जिले में प्रकृति की गोद में बसा, एक प्रमुख धार्मिक तीर्थ स्थल है। जो देश विदेश से हजारों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

Jatmai Temple Travel Guide: जंगलों के बीच बसा जतमई घटारानी मंदिर: रहस्यमयी शिवलिंग से लेकर नाग गुफा तक, जानिए अद्भुत रहस्य!
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Jatmai Temple Travel Guide: जतमई घटारानी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के गरियाबंद जिले में प्रकृति की गोद में बसा, एक प्रमुख धार्मिक तीर्थ स्थल है। जो देश विदेश से हजारों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। माता जतमई का यह अदभुत मंदिर पहाड़ी के ऊपर और ठंडे झरनों के बीच स्थित है। यह मंदिर भक्तों को न केवल धार्मिक महत्व की अनुभूति कराता है बल्कि जन्नत का एहसास दिलाता है। यह प्राचीन मंदिर देवी जतमई को समर्पित है जहां प्रतिवर्ष साल में दो बार चैत्र और कार्तिक नवरात्र के दौरान भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।

अगर आप भी इन छुट्टियों में छत्तीसगढ़ जा रहे हैं और प्राकृतिक सुंदरता निहारने के साथ-साथ और शांति की अनुभूति के साथ ईश्वर की शरण में कुछ पल बिताना चाहते हैं तो आप अवश्य ही जतमई घटारानी के मंदिर की यात्रा कर सकते हैं। तो जतमई घटारानी तीर्थ स्थल की सभी जानकारी प्राप्त करने के लिए बने रहिए हमारे साथ इस लेख के माध्यम से।

जतमई घटारानी कहाँ है?

जतमई घटारानी छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध, हिंदू धार्मिक एवं पर्यटन स्थल है। जिसकी दूरी राजधानी रायपुर से लगभग 50-60 किलोमीटर है। यह स्थल छत्तीसगढ़ के प्रमुख तीर्थ स्थलों के शुरुआत में गिना जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालु इस मंदिर को किसी स्वर्ग से कम नहीं मानते हैं। यह मंदिर यहां आने वाले श्रद्धालुओं को आस्था के दरिया में डूबा देता है और शांति का एहसास कराता है।

जतमई माता का मंदिर

आपको बता दें कि जतमई माता के मंदिर का रंग सफेद है जो दूर से देखने पर बहुत ही सुंदर लगता है। माता जतमई का मंदिर चारों ओर से जंगलों से घिरा और प्रकृति के गोद में बसा है। मंदिर परिसर में मुख्य रूप से जतमई माता की पूजा की जाती है। मंदिर परिसर में अलग-अलग देवी देवता भी विराजमान है जैसे भगवान शंकर, काली माता, दुर्गा माता, राधा कृष्ण आदि। लोगों की मान्यताओं के अनुसार माता के मंदिर से सटी बहती जलधाराएं माता की सेविकाएं कहलाती हैं।

मंदिर का इतिहास

मंदिर का निर्माण लगभग 20वीं शताब्दी में हुआ माना जाता है। मंदिर से संबंधित एक दिलचस्प और रोचक कहानी सुनने को मिलती है। मंदिर परिसर में मौजूद शिवलिंग के बारे में लोगों का कहना है कि एक बार शहर के मछुआरे इस शिवलिंग को अपने साथ ले जाना चाहते थे। वह जब-जब इस स्थान पर खुदाई करते तब तब यह शिवलिंग और अंदर गहराई में चला जाता। बहुत अधिक परिश्रम करने के बाद भी जब उन्हें सफलता नहीं मिली तब उन्होंने मूर्ति को अपने साथ ले जाने का निर्णय छोड़ दिया। तभी से मंदिर परिसर में मौजूद शिवलिंग की पूजा अर्चना शुरू हो गई।

मंदिर का समय

जतमई माता का मंदिर भक्तों के लिए पूरे सप्ताह खुला रहता है। मंदिर खुलने का समय सुबह 5:00 से शाम 7:00 बजे तक है। हालांकि त्योहारों के समय अधिक श्रद्धालुओं के होने के कारण समय में परिवर्तन देखने को मिल सकता है। मंदिर में माता दुर्गा स्वरूप जतमई माता की आरती दिन में दो बार की जाती है एक सुबह 5:30 बजे और दूसरी शाम 6:30 बजे। आप इस समय जाकर माता की आरती के दर्शन कर सकते हैं।

जतमई घटारानी मंदिर की वास्तुकला

जतमई माता का मंदिर घने जंगलों के ठीक बीच में स्थित है। मंदिर की वास्तुकला में एक विशाल मीनार का निर्माण करवाया गया है। मंदिर की दीवारों को ग्रेनाइट से उगेरा गया है जो इसको बहुत ही सुंदर रूप प्रदान करता है। यहां के झरने सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र है।

नाग गुफा

मंदिर के समीप ही एक नाग गुफा है जिसकी मान्यता यह है कि जतमई माता के रक्षक नाग इसी गुफा में रहते थे। गुफा से कुछ ही दूरी पर भगवान हनुमान की विशाल प्रतिमा स्थापित दिखाई देती है। बजरंगबली की इस विशाल प्रतिमा के हाथ में एक विशाल गदा और गले में बड़ी सी माला स्थापित है। यह प्रतिमा काफी ऊंची होने के कारण दूर से भी देखी जा सकती है।

यात्रा का सबसे अच्छा समय

अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं और प्रकृति की अनोखी छठा को निहारने के लिए यहां आना चाहते हैं तो आप वर्षा ऋतु के दौरान अपनी यात्रा का आयोजन कर सकते हैं। क्योंकि इस दौरान मंदिर के आसपास के झरनों में पानी का बहाव अधिक हो जाता है और साथ ही जंगल भी हरे-भरे और ताजे़ हो जाते हैं। यह स्थान आपको प्रदूषण से दूर प्रकृति का एक अलग अनुभव प्रदान कराता है। और अगर आप अधिक भीड़ से बचने के विचार में है तो आप नवरात्रि के समय आने से बचे। इस प्राचीन मंदिर में साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।

मंदिर कैसे पहुंचे?

  • हवाई मार्ग : जतमई घटारानी मंदिर पहुंचने के लिए सबसे निकटतम हवाई अड्डा रायपुर हवाई अड्डा है। हवाई अड्डे से मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालु टैक्सी या बस का प्रयोग कर सकते हैं।
  • रेल मार्ग : इस प्राचीन तीर्थ स्थल पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन रायपुर रेलवे स्टेशन है जो देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा है।
  • सड़क मार्ग : जतमई घटारानी रायपुर से लगभग 50-60 किलोमीटर की दूरी पर है इसीलिए लोग यहां तक पहुंचने के लिए नियमित बस सेवाओं या टैक्सी सेवाओं का उपयोग भी कर सकते हैं।
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