श्री नीलमाधव मंदिर, नीलगिरी (ओडिशा)
श्री नीलमाधव मंदिर, ओडिशा के बालासोर जिले के प्रसिद्ध नगर नीलगिरी में स्थित एक पवित्र और प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु के नीलमाधव रूप को समर्पित है।

श्री नीलमाधव मंदिर, नीलगिरी (ओडिशा)
श्री नीलमाधव मंदिर, ओडिशा के बालासोर जिले के प्रसिद्ध नगर नीलगिरी में स्थित एक पवित्र और प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भगवान विष्णु के नीलमाधव रूप को समर्पित है। नीलमाधव, भगवान विष्णु के उन प्रारंभिक रूपों में से एक हैं, जिनकी पूजा उड़ीसा में सदियों से की जाती रही है और जिनसे जुड़ी मान्यताएं सीधे जगन्नाथ संस्कृति से जुड़ी हैं।
यह मंदिर नीलगिरी पहाड़ियों की गोद में स्थित है और अपने शांत वातावरण, आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
नीलमाधव की पूजा ओडिशा में जगन्नाथ संस्कृति का आधार मानी जाती है। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि भगवान जगन्नाथ के दर्शन से पहले नीलमाधव के दर्शन करना पुण्यफलदायी होता है।
नीलमाधव से जुड़ी कथा अनुसार, विदेहराज इन्द्रद्युम्न को स्वप्न में नीलमाधव के दर्शन हुए थे। उन्होंने खोज करते हुए भगवान नीलमाधव की मूर्ति को देखने की इच्छा जताई, जो सबर वंश के एक व्यक्ति विश्ववसु द्वारा एक गुफा में पूजित होती थी। कालांतर में यही मूर्ति अदृश्य हो गई और फिर भगवान ने दारु ब्रह्म के रूप में प्रकट होकर जगन्नाथ मंदिर, पुरी में प्रतिष्ठित रूप लिया।
नीलगिरी का यह मंदिर उसी नीलमाधव परंपरा का प्रतिनिधि स्थल माना जाता है।
मंदिर का वर्तमान स्वरूप संभवतः 18वीं शताब्दी में बना था, और तब से यह मंदिर स्थानीय राजाओं और भक्तों द्वारा निरंतर पूजित होता आ रहा है।
मंदिर की वास्तुकला
यह मंदिर पारंपरिक कलिंग शैली में निर्मित है –
- शिखर ऊँचा और सुशोभित है।
- दीवारों पर विष्णु अवतारों की नक्काशी मिलती है।
- गर्भगृह में भगवान नीलमाधव की मूर्ति विराजमान है जो नील रंग में अद्भुत रूप में दिखाई देती है।
- मंदिर परिसर साफ-सुथरा और हरियाली से घिरा हुआ है, जो शांति और भक्ति का वातावरण प्रदान करता है।
दर्शन समय
मंदिर श्रद्धालुओं के लिए प्रतिदिन खुला रहता है।
- प्रातः दर्शन: सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक
- सांध्य दर्शन: शाम 4:00 बजे से रात 8:00 बजे तक
विशेष दिन :
एकादशी, वैष्णव पर्वों, और रथ यात्रा के समय भारी संख्या में दर्शनार्थी आते हैं।
माघ पूर्णिमा और श्रावण मास के दौरान विशेष पूजा होती है।
आरती व पूजा विधि
मंदिर में प्रतिदिन भोर और संध्या समय आरती होती है।
- प्रभात आरती : सूर्योदय से पूर्व दीप-धूप और शंखध्वनि के साथ।
- शृंगार पूजा : भगवान का सुंदर शृंगार किया जाता है।
- मध्याह्न भोग आरती : दोपहर को भोग चढ़ाया जाता है।
- संध्या आरती : सूर्यास्त के समय दीपों से भगवान की आरती की जाती है।
भक्तगण तुलसी, नारियल, फल, पंचामृत आदि अर्पित करते हैं।
कैसे पहुँचे ?
स्थान : नीलमाधव मंदिर, नीलगिरी, जिला – बालासोर, ओडिशा
वायु मार्ग :
निकटतम हवाई अड्डा – बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर (लगभग 190 किमी)
रेल मार्ग :
निकटतम प्रमुख रेलवे स्टेशन – बालासोर रेलवे स्टेशन
स्टेशन से नीलगिरी लगभग 30 किमी दूर है।
सड़क मार्ग :
नीलगिरी शहर सड़क मार्ग से बालासोर और भुवनेश्वर से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
आस-पास के दर्शनीय स्थल
नीलगिरी के पास और भी कई धार्मिक व प्राकृतिक स्थल हैं, जैसे:
- पंचलिंगेश्वर मंदिर
- चंदनसर झील
- बालेश्वर समुद्र तट
- जगन्नाथ मंदिर, रेमुना (खीरचोरा गोपीनाथ)
श्री नीलमाधव मंदिर, नीलगिरी न केवल एक आध्यात्मिक धरोहर है बल्कि यह ओडिशा की जगन्नाथ संस्कृति का अभिन्न अंग भी है। यहाँ का वातावरण भक्तों को आंतरिक शांति और प्रभु के सान्निध्य का अद्भुत अनुभव कराता है।
जो भी भक्त भगवान जगन्नाथ की पूजा करते हैं, उनके लिए नीलमाधव मंदिर का दर्शन एक विशेष धार्मिक महत्व रखता है।