लिंगराज मंदिर की जानकारी, उसकी विशेषता और पूजा विधि

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर, ओडिशा का एक प्रमुख और प्राचीन हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि वास्तुकला के क्षेत्र में भी एक उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है।

लिंगराज मंदिर की जानकारी, उसकी विशेषता और पूजा विधि
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लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर, ओडिशा का एक प्रमुख और प्राचीन हिंदू मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि वास्तुकला के क्षेत्र में भी एक उत्कृष्ट उदाहरण माना जाता है। 'लिंगराज' का अर्थ होता है – "लिंगों के राजा" यानी भगवान शिव का महाप्रभु रूप। यह मंदिर हिन्दू धर्म के शैव संप्रदाय के साथ-साथ वैष्णव परंपरा को भी दर्शाता है।

इतिहास

लिंगराज मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में सोमवंशी राजा ययाति प्रथम द्वारा कराया गया था, जबकि इसके कुछ भाग 6वीं शताब्दी के भी माने जाते हैं। यह मंदिर कलिंग शैली की वास्तुकला का उत्तम उदाहरण है। यह स्थान ‘एकम्र क्षेत्र’ के नाम से प्रसिद्ध था, जिसका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। यह मंदिर उस युग की धार्मिक सहिष्णुता को दर्शाता है क्योंकि इसमें शिव और विष्णु दोनों की उपासना की जाती है।

दर्शन समय

सुबह : 6:00 AM से

रात्रि : 9:00 PM तक

दर्शन के लिए कोई शुल्क नहीं है, लेकिन भीड़ विशेषकर सोमवार और शिवरात्रि जैसे पर्वों पर अधिक होती है।

आरती और पूजा समय

1. प्रभात आरती – सुबह 6:00 बजे

2. मध्याह्न पूजा – दोपहर 12:00 बजे

3. संध्या आरती – शाम 6:30 बजे

4. विशेष पूजा – हर सोमवार, शिवरात्रि, सावन मास में विशेष आराधना होती है।

यात्रा मार्ग

स्थान : लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर, ओडिशा – 751002

- निकटतम रेलवे स्टेशन : भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन (5 किमी)

- निकटतम हवाई अड्डा : बीजू पटनायक अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (3 किमी)

कैसे जाएँ ?

1. रेलवे स्टेशन से ऑटो या टैक्सी लेकर 15 मिनट में मंदिर पहुँच सकते हैं।

2. हवाई यात्रा से आने वाले यात्री सीधे एयरपोर्ट से टैक्सी द्वारा मंदिर तक पहुँच सकते हैं।

3. सड़क मार्ग से आने वालों के लिए भुवनेश्वर शहर में अच्छी सड़क व्यवस्था है और नेशनल हाईवे से जुड़ा हुआ है।

मंदिर की वास्तुकला

- 180 फीट ऊँचा शिखर

- संपूर्ण मंदिर में लाल बलुआ पत्थर का उपयोग

- मुख्य गर्भगृह में स्वयंभू शिवलिंग

- भव्य नंदी मंडप

चार मुख्य भाग : गर्भगृह, जगमोहन, नाट्यमंडप और भोग मंडप

मुख्य पर्व

- महाशिवरात्रि (सबसे प्रमुख उत्सव)

- सावन मास में प्रत्येक सोमवार

- कार्तिक पूर्णिमा

- चंदन यात्रा, जिसमें लिंगराज जी की मूर्ति को विशेष रूप से जल यात्रा पर ले जाया जाता है।

लिंगराज मंदिर न केवल ओडिशा की आध्यात्मिकता का केंद्र है बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर का भी गौरवपूर्ण प्रतीक है। यदि आप भक्ति, वास्तुकला, और ऐतिहासिक धरोहरों में रुचि रखते हैं, तो यह मंदिर आपकी यात्रा सूची में अवश्य होना चाहिए।

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