अनंता वासुदेवा मंदिर, भुवनेश्वर
अनंता वासुदेवा मंदिर, भुवनेश्वर का एकमात्र प्रमुख वैष्णव मंदिर है, जो भगवान विष्णु के "अनंत" स्वरूप को समर्पित है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यह उस भुवनेश्वर शहर में स्थित है जिसे 'एकाम्र क्षेत्र' कहा जाता है – एक ऐसा पवित्र स्थान जो सैकड़ों शिव मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। ऐसे में यह मंदिर एक धार्मिक विविधता का प्रतीक बनकर उभरता है।

अनंता वासुदेवा मंदिर, भुवनेश्वर
अनंता वासुदेवा मंदिर, भुवनेश्वर का एकमात्र प्रमुख वैष्णव मंदिर है, जो भगवान विष्णु के "अनंत" स्वरूप को समर्पित है। इस मंदिर की खासियत यह है कि यह उस भुवनेश्वर शहर में स्थित है जिसे 'एकाम्र क्षेत्र' कहा जाता है – एक ऐसा पवित्र स्थान जो सैकड़ों शिव मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। ऐसे में यह मंदिर एक धार्मिक विविधता का प्रतीक बनकर उभरता है।
यह मंदिर 13वीं शताब्दी की स्थापत्य कला, ओडिशा की वैष्णव परंपरा, और एक समर्पित भक्ति भावना का जीवंत उदाहरण है। यहाँ भगवान विष्णु के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की भी पूजा की जाती है – जो पुरी के जगन्नाथ स्वरूप की झलक देता है।
मंदिर का इतिहास
- मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में पूर्वी गंगा वंश के शासनकाल में हुआ।
- इसे बनवाने का श्रेय रानी चंद्रलेखा को जाता है, जो गंगा वंश के राजा भानुदेव की रानी थीं।
विशेषताएँ
- यह मंदिर भुवनेश्वर के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है।
- इतिहासकारों के अनुसार, यह स्थल पहले एक शिव मंदिर था जिसे बाद में वैष्णव परंपरा में परिवर्तित किया गया।
- यह मंदिर स्थापत्य कला में लिंगराज मंदिर से काफी मिलता-जुलता है, जो इस बात का संकेत देता है कि यह उसी समयकाल की कला परंपरा से जुड़ा हुआ है।
धार्मिक महत्त्व
- यह मंदिर भुवनेश्वर में वैष्णव संप्रदाय का प्रमुख केंद्र है।
- यहाँ हर वर्ष हजारों श्रद्धालु भगवान विष्णु के अनंत रूप के दर्शन करने आते हैं।
स्थापत्य और शिल्पकला
मंदिर पूरी तरह से खड़िया पत्थर से निर्मित है।
इसमें चार प्रमुख भाग हैं :-
1. विमान (गर्भगृह) – जहाँ मुख्य मूर्ति है।
2. नाटमंडप (नृत्य सभामंडप) – धार्मिक अनुष्ठानों के लिए।
3. भोग मंडप – जहाँ भोग तैयार होता है।
4. जगमोहन (सभा हॉल) – भक्तों के लिए।
शिल्पकला में विष्णु के दशावतार, गंधर्व, अप्सराएँ और किन्नर उत्कीर्ण हैं।
मूर्ति स्वरूप
- यहाँ भगवान विष्णु की अनंता वासुदेवा के रूप में मूर्ति प्रतिष्ठित है, जिनके साथ हैं:
बलभद्र जी – बाएँ ओर
सुभद्रा जी – दाएँ ओर
यह त्रिमूर्ति व्यवस्था पुरी के जगन्नाथ मंदिर के समान ही है, किंतु यहाँ की मूर्तियाँ पत्थर से बनी हैं, जबकि पुरी में वे काष्ठ (लकड़ी) से बनी होती हैं।
दर्शन समय
सुबह दर्शन : 6:00 AM – 12:00 PM
दोपहर विश्राम : 12:00 PM – 3:00 PM
सायंकाल दर्शन : 3:00 PM – 9:00 PM
आरती समय :-
सुबह आरती – 7:00 AM
शाम आरती – 6:30 PM
जन्माष्टमी, रामनवमी, गीता जयंती आदि पर विशेष पूजा और संध्या दीप आरती होती है।
कैसे पहुँचें ?
स्थान : अनंता वासुदेवा मंदिर, बिंदुसागर झील के दक्षिणी तट पर, ओल्ड टाउन, भुवनेश्वर में स्थित है।
हवाई मार्ग : बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर – मंदिर से लगभग 6 किमी दूर।
रेल मार्ग :
भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन – मंदिर से लगभग 4 किमी दूर।
सड़क मार्ग :
मंदिर तक ओडिशा के विभिन्न शहरों से सीधी बसें, कैब और लोकल ऑटो उपलब्ध हैं।
भोग और महाप्रसाद
- मंदिर परिसर में एक प्राचीन रसोईघर है जो आज भी पारंपरिक ओडिया शैली में भोजन बनाता है।
- यहाँ तैयार भोजन को 'महाप्रसाद' कहा जाता है जिसे श्रद्धालु दोपहर में खरीद सकते हैं।
- भोजन पूरी तरह सात्विक होता है और मिट्टी के बर्तनों में पकाया जाता है।
नजदीकी दर्शनीय स्थल
1. लिंगराज मंदिर – लगभग 500 मीटर
2. राजरानी मंदिर
3. मुक्तेश्वर मंदिर
4. परसुरामेश्वर मंदिर
5. बिंदुसागर झील
आस्था का संगम
अनंता वासुदेवा मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि ओडिशा की सांस्कृतिक विविधता का प्रतिनिधि भी है। शिव नगरी में एक वैष्णव केंद्र की उपस्थिति यह बताती है कि आस्था किसी एक रूप में नहीं बंधती।
यह मंदिर उन श्रद्धालुओं के लिए आदर्श है जो शांति, धार्मिकता और इतिहास – तीनों का समागम एक ही स्थान पर अनुभव करना चाहते हैं।