श्री हरि बालदेव जी मंदिर, केवलपुर (ओडिशा)

श्री हरि बालदेव जी मंदिर, केवलपुर (ओडिशा)
ओडिशा राज्य के केन्द्रपाड़ा ज़िले में स्थित श्री हरि बालदेव जी मंदिर, ओडिशा के प्रसिद्ध और प्राचीनतम धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर भगवान बलराम (बालदेव) को समर्पित है, जो भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई माने जाते हैं। स्थानीय भाषा में उन्हें 'बालदेवजीउ' कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ और देवी सुभद्रा की मूर्तियाँ भी विराजमान हैं, जिससे यह स्थल धार्मिक रूप से और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
यह मंदिर केवलपुर गांव (जिसे इच्छापुर या तुलसीक्षेत्र भी कहा जाता है) में स्थित है। यह स्थल भक्तों के लिए एक अत्यंत पवित्र तीर्थ है, जो हर वर्ष हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।
इतिहास
श्री हरि बालदेव मंदिर का इतिहास गहरे धार्मिक विश्वासों, संघर्षों और पुनर्निर्माण की कहानियों से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना प्रारंभिक मध्यकाल में हुई थी। मंदिर की मूल मूर्तियाँ अत्यंत प्राचीन थीं। मुग़ल काल के दौरान 1661 ई. में खान-ए-दुर्रान, जो तत्कालीन बंगाल का सूबेदार था, ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया था। उस समय यहां एक मस्जिद बनाई गई। स्थानीय भक्तों ने भगवान बालदेव की मूर्ति को नदी के रास्ते एक सुरक्षित स्थान पर छुपाकर बचा लिया। 1761 ई. में मराठा शासनकाल के दौरान इस मंदिर का पुनर्निर्माण राजा गोपाल सन्धा और श्रीनिवास नरेन्द्र महापात्र द्वारा किया गया। यह मंदिर ओड़िया स्थापत्य शैली के अद्भुत उदाहरणों में से एक है। आज यह मंदिर ओडिशा की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का जीवंत प्रतीक है।
मंदिर की वास्तुकला
- मंदिर की वास्तुकला कलिंग शैली में निर्मित है, जो ओडिशा के अधिकतर मंदिरों में देखने को मिलती है।
- मुख्य मंदिर लगभग 75 फीट ऊँचा है और यह “सप्तपिड़ा शैली” में बना हुआ है, जिसमें सात स्तर होते हैं।
मंदिर परिसर में चार प्रमुख हिस्से हैं :
- बड़ा देवूला (मुख्य गर्भगृह)
- माझी देवूला (भोग मण्डप)
- जगमोहन (सभामंडप)
- बाटा मंडप (मुख्य द्वार)
परिसर में एक सुंदर बाग भी है, जहाँ पुष्पों और तुलसी की खेती की जाती है।
मंदिर की दीवारों और स्तंभों पर उत्कृष्ट नक्काशी की गई है, जो धार्मिक और पौराणिक कथाओं को चित्रित करती है।
मंदिर में विराजित मूर्तियाँ
1. भगवान बालदेव जी – मंदिर के मुख्य देवता। उनका स्वरूप सफेद संगमरमर से बना हुआ है, जिसमें वे हल और मूसल के साथ दर्शाए गए हैं।
2. भगवान जगन्नाथ – काले रंग के पत्थर से निर्मित, जो उनके गहरे रंग का प्रतीक है।
3. देवी सुभद्रा – पीले रंग में, करुणा और भक्ति की प्रतिमूर्ति।
4. देवी तुलसी – मंदिर प्रांगण में एक अलग स्थान पर स्थित, जिन्हें अत्यधिक श्रद्धा से पूजा जाता है।
दर्शन समय
सुबह 6:00 बजे : प्रातःकालीन दर्शन, स्नान, जुहूर पूजा
दोपहर 12:00 बजे : मध्याह्न भोग और आरती
शाम 5:00 बजे : संध्या आरती और शृंगार
रात 8:00 बजे : शयन आरती (पटल बंद)
मंदिर में प्रतिदिन कई बार आरती और भोग अर्पण की जाती है।
भोग प्रसाद में विभिन्न पारंपरिक ओड़िया व्यंजन जैसे :
- बाउल गैंठा
- रसाबाली
- खिचड़ी
- दही-पाखाला
- चौरासी व्यंजन
विशेष अवसरों पर ‘महाप्रसाद’ का वितरण होता है जो मंदिर परिसर में स्थित भंडार गृह से लिया जा सकता है।
यात्रा मार्ग (कैसे पहुँचे ?)
1. सड़क मार्ग से :
केन्द्रपाड़ा जिला मुख्यालय से केवलपुर गांव लगभग 5–6 किलोमीटर दूर है।
2. रेल मार्ग से :
निकटतम रेलवे स्टेशन : कटक या भुवनेश्वर ।
3. वायु मार्ग से:
निकटतम हवाई अड्डा: बीजू पटनायक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, भुवनेश्वर (90 किमी दूर)।
महत्वपूर्ण त्यौहार एवं आयोजन
- रथयात्रा : भगवान बालदेव, जगन्नाथ और सुभद्रा जी की रथ यात्रा यहां बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से निकाली जाती है। इसका आयोजन आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को होता है।
- तुलसी विवाह : कार्तिक मास में तुलसी देवी और भगवान विष्णु के प्रतीक शालिग्राम का विवाह आयोजित किया जाता है।
दोल पूर्णिमा, रामनवमी, झूला उत्सव, कार्तिक पूनम, जनमाष्टमी, आदि पर्व भी बड़ी श्रद्धा से मनाए जाते हैं।
महत्त्व और आध्यात्मिकता
यह मंदिर ना केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक रूप से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यह स्थल भगवान बलराम की आराधना के प्रमुख केंद्रों में गिना जाता है। ओड़िशा में बहुत कम मंदिर हैं जहाँ बलराम जी को मुख्य रूप से पूजा जाता है, और श्री हरि बालदेव मंदिर उनमें अग्रगण्य है।
श्री हरि बालदेव जी मंदिर, केवलपुर (ओडिशा) आध्यात्मिक ऊर्जा, ऐतिहासिक गौरव और सांस्कृतिक वैभव का अनोखा संगम है। यहाँ की शांतिपूर्ण और भक्ति-पूर्ण वातावरण हर आगंतुक को एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है। यदि आप ओड़िशा की यात्रा पर हैं या धार्मिक पर्यटन में रुचि रखते हैं, तो इस मंदिर का दर्शन अवश्य करें।