मार्गशीर्ष मास 2025: तुलसी चालीसा के पाठ से बनें बिगड़े काम | मां लक्ष्मी की कृपा
जानिए मार्गशीर्ष मास 2025 में प्रतिदिन तुलसी चालीसा का पाठ करने का महत्व। पढ़ें श्री तुलसी चालीसा, कथा और विधि, और पाएं भगवान कृष्ण व मां लक्ष्मी की असीम कृपा।

मार्गशीर्ष माह की हुई शुरुआत: तुलसी पूजा और चालीसा पाठ से मिलेगा श्रीकृष्ण का आशीर्वाद
वेदों और पुराणों में मार्गशीर्ष मास को अत्यंत पवित्र और शुभ बताया गया है। मान्यता है कि यह महीना स्वयं भगवान श्रीकृष्ण को सबसे अधिक प्रिय है। पंचांग के अनुसार, इस वर्ष मार्गशीर्ष मास की शुरुआत 6 नवंबर से हो चुकी है।
इस पावन मास में तुलसी माता की आराधना का विशेष महत्व माना गया है। धार्मिक परंपराओं के अनुसार, जो व्यक्ति प्रतिदिन तुलसी के समीप दीप प्रज्वलित करता है और श्रद्धा से तुलसी चालीसा का पाठ करता है, उसके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है। ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा भी प्राप्त होती है और सभी बाधाएँ दूर होती हैं। मार्गशीर्ष का यह महीना भक्ति, साधना और आध्यात्मिक उन्नति के लिए सर्वोत्तम काल माना गया है।
श्री तुलसी चालीसा
दोहा
श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।
जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।
चालीसा
नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।
दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।
विष्णुप्रिया जय जयतिभवानी, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।
भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।
जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।
करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।
कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।
तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।
कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।
वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।
श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।
कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।
छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।
तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।
औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता।
देव ऋषि मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।
वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।
नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।
नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।
नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।
नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।
नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।
नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।
जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।
निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।
करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।
शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।
क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।
मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।
जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।
बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।
प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।
चन्दन अक्षत पुष्प चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।
करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।
पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।
यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।
करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।
है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।
तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।
फलश्रुति (समापन श्लोक)
यह श्री तुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय,
गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।।

