27 November 2025 Ka Panchang :गुरुवार का पंचांग देखे rashifal today पर
27 नवंबर 2025, गुरुवार का विस्तृत पंचांग। आज की तिथि, नक्षत्र, योग, शुभ मुहूर्त, राहुकाल, चंद्र व सूर्य राशि की जानकारी प्राप्त करें।
आज का पंचांग – 27 नवंबर 2025 (गुरुवार)
27 नवंबर 2025 का दिन हिंदू कैलेंडर के अनुसार शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि है। यह दिन भगवान विष्णु और सूर्य देव की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं इस दिन के सूर्योदय, शुभ मुहूर्त, नक्षत्र, योग और राहुकाल के बारे में।
पंचांग विवरण
तारीख: 27 नवंबर 2025
दिन: गुरुवार
विक्रम संवत: 2082 (कालयुक्त)
शक संवत: 1947 (विश्वावसु)
मास: मार्गशीर्ष (आग्रहायण)
पक्ष: शुक्ल पक्ष
ऋतु: हेमंत ऋतु (पूर्व शीतकाल)
सूर्योदय और सूर्यास्त
सूर्योदय: सुबह 6:52 बजे
सूर्यास्त: शाम 5:36 बजे
चंद्रोदय: दोपहर 12:13 बजे
चंद्रास्त: रात 11:44 बजे
तिथि और नक्षत्र
तिथि:
शुक्ल पक्ष सप्तमी – 27 नवंबर 00:02 AM से प्रारंभ
अष्टमी तिथि प्रारंभ – 28 नवंबर 00:30 AM से
नक्षत्र:
धनिष्ठा – 27 नवंबर 01:32 AM तक
शतभिषा – 27 नवंबर 02:32 AM से
योग और करण
ध्रुव योग : 26 नवंबर 12:42 PM से 27 नवंबर 12:09 PM तक
व्याघात योग : 27 नवंबर 12:09 PM से 28 नवंबर 11:05 AM तक
करण:
गरिजा : 27 नवंबर 12:02 AM से 12:21 PM तक
वणिज : 27 नवंबर 12:21 PM से 28 नवंबर 12:30 AM तक
ग्रह स्थिति
सूर्य राशि: वृश्चिक (Scorpio)
चंद्र राशि:
मकर (Capricorn) – 27 नवंबर दोपहर 2:07 बजे तक
कुंभ (Aquarius) – उसके बाद प्रवेश
अशुभ काल
राहु काल: 1:34 PM – 2:55 PM
यमगंड काल: 6:52 AM – 8:13 AM
गुलिक काल: 9:33 AM – 10:54 AM
वर्ज्य काल: 5:42 AM – 7:22 AM
दुर्लभ मुहूर्त:
10:27 AM – 11:10 AM
2:44 PM – 3:27 PM
इन समयों में कोई भी नया या शुभ कार्य करने से बचें।
शुभ मुहूर्त
अभिजित मुहूर्त: 11:52 AM – 12:35 PM
अमृत काल: 3:41 PM – 5:21 PM
ब्रह्म मुहूर्त: 5:17 AM – 6:05 AM
इन मुहूर्तों में पूजा-पाठ, यात्रा, या नया कार्य आरंभ करना शुभ माना गया है।
आज का महत्व
गुरुवार का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन व्रत रखने और विष्णु जी की पूजा करने से धन, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि होने के कारण यह दिन सूर्य उपासना और आरोग्य प्राप्ति के लिए भी अत्यंत शुभ है।
धर्मशास्त्रों के अनुसार, इस दिन किए गए सत्कर्मों का फल कई गुना बढ़ जाता है। अतः भक्तजन दान-पुण्य, व्रत और पूजा के माध्यम से ईश्वर की कृपा प्राप्त करते हैं।