Devkinandan Thakur Jeevani: देवकीनंदन ठाकुर महाराज- जीवन परिचय, शिक्षा, परिवार और योगदान
Devkinandan Thakur Jeevani: देवकीनंदन ठाकुर महाराज कौन हैं? | जीवन परिचय, शिक्षा, परिवार, ट्रस्ट कार्य;
देवकीनंदन ठाकुर उत्तर प्रदेश के पावन भूमि मथुरा में जन्मे एक भारतीय कथावाचक और आध्यात्मिक गुरु हैं। वे अपने अनुयायियों के बीच शांतिदूत श्रद्धेय जी के नाम से भी जाने जाते हैं। वे एक महान वक्ता भी हैं। विभिन्न टेलीविजन चैनलों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में ठाकुर जी अपनी उपस्थिति से अपने विचारों को मजबूती से सभी के सामने पहुंचाते हैं। वह भागवत गीता के साथ-साथ श्री राम कथा, शिव पुराण, देवी भागवत के वाचन के लिए देश-विदेश में काफी प्रसिद्ध हैं। देवकीनंदन ठाकुर ने बहुत ही छोटी उम्र में घर छोड़ दिया और आध्यात्म के रास्ते पर चल दिए। उनकी कथाएं व उपदेश सीधे लोगों के दिलों तक पहुंचती है। उनके वाणी में एक जादू है, जो देश-विदेश में लाखों लोगों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं।
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कौन है देवकीनंदन ठाकुर महाराज?
देवकीनंदन ठाकुर महाराज एक भारतीय कथावाचक है। वह आध्यात्मिक गुरु और आध्यात्मिक वक्ता भी है। वे श्री भागवत गीता के साथ-साथ श्री राम कथा, शिव पुराण, देवी भागवत के वाचन के लिए देश विदेश में लाखों लोगों द्वारा पसंद किए जाते हैं। वे अपनी कथाओं के माध्यम से लोगों को सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। वे लोगों के कल्याण के लिए शुरू की गई संगठन "विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट" के संस्थापक हैं। उन्होंने भारत के विभिन्न शास्त्रों और वेदों में गहन अध्ययन किया है। उनका जन्म 12 सितंबर 1978 में उत्तर प्रदेश के ओहवा गांव में हुआ था।
प्रारंभिक जीवन:
देवकीनंदन ठाकुर महाराज का जन्म 12 सितंबर 1978 को उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में एक छोटे से गांव ओहवा गांव में एक हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम राजवीर शर्मा और माता का नाम अनसुइया देवी है। बचपन से ही उनके घर में एक धार्मिक माहौल था। यही कारण था कि उनका झुकाव बचपन से ही आध्यात्मिक की ओर था।
मात्र 6 साल की उम्र में देवकीनंदन अपना घर परिवार छोड़कर वृंदावन चले गए। जहां उन्होंने अपने आध्यात्मिक गुरु से विभिन्न वेदों पुराणों की शिक्षा ली। वे वहां पर कई कृष्ण नाटकों में भाग लेते थे।
शिक्षा:
देवकीनंदन ठाकुर ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव से ही पूरी की। प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने अंग्रेजी भाषा में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इस शिक्षा के साथ-साथ उन्होंने सनातन संस्कृति से जुड़े रहने के लिए लगभग सभी प्रकार के धार्मिक ग्रंथो को पढ़ा, अध्ययन किया और मौखिक रूप से कंठस्थ किया। वह बचपन से ही आध्यात्म से जुड़े रहे।
मात्र 13 साल की उम्र में उन्होंने श्रीमद्भगवत पुराण को याद कर लिया था। यह उनकी प्रतिभा, आध्यात्म की ओर उनकी रुचि, और संस्कृति से जुड़ाव दर्शाता है।
वैवाहिक जीवन:
श्री देवकीनंदन ठाकुर जी विवाहित हैं। उनकी धर्मपत्नी का नाम अंधमाता है। उनका एक पुत्र भी है, जिसका नाम देवांश है।
धार्मिक कार्य:
देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने वर्ष 2006 में "विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट" नामक एक संस्था की स्थापना की। इस संस्था के द्वारा महाराज जी देश-विदेश में विभिन्न स्थानों पर आयोजन करते हैं। अपने इन आयोजनों के माध्यम से वह लाखों भक्तों एवं श्रोताओं को गौ रक्षा, पर्यावरण संरक्षण, नशा मुक्ति, गंगा प्रदूषण मुक्ति जैसे अभियानों के बारे में जागरुक करते हैं। वह आधुनिक युग के युवाओं को भारतीय संस्कृति से जुड़े रहने के लिए प्रेरित करते हैं।
निष्कर्ष:
देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज, जिन्हें लोग शांतिदूत श्रद्धेय के नाम से भी जानते है एक भारतीय कथावाचक और आध्यात्मिक नेता है। वे विभिन्न टेलीविजन चैनलों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में सनातन धर्म का पक्ष मजबूती से लेते हैं। वह अपने सहज व्यक्तित्व और मधुर कथा वाचन के कारण बहुत प्रसिद्ध है। महज़ 6 साल की उम्र में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया और आध्यात्मिक जीवन चुना। वह अपने लाखों अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।