परवतिनाथ मंदिर (चंद्राकोना, पश्चिम मिदनापुर) की जानकारी और दर्शन की टाइमिंग

पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर ज़िले के चंद्राकोना नामक ऐतिहासिक नगर में स्थित परवतिनाथ मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि स्थापत्य कला का भी अनुपम उदाहरण है।

Published On 2025-11-05 12:50 GMT   |   Update On 2025-11-05 12:48 GMT

परवतिनाथ मंदिर (चंद्राकोना, पश्चिम मिदनापुर)

पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर ज़िले के चंद्राकोना नामक ऐतिहासिक नगर में स्थित परवतिनाथ मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि स्थापत्य कला का भी अनुपम उदाहरण है। यह मंदिर सप्तदश रत्न (सत्रह शिखरों वाला) स्थापत्य शैली में निर्मित है, जो बंगाल के रत्न मंदिरों की एक विशिष्ट परंपरा को दर्शाता है।

यह मंदिर मुख्यतः भगवान शिव को समर्पित है, जिनका यहाँ परवतिनाथ नाम से पूजन होता है। ‘परवती’ यानी पार्वती और ‘नाथ’ यानी शिव – यह नाम उनके दिव्य युगल स्वरूप को संकेत करता है।

इतिहास

19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में निर्मित यह मंदिर उस कालखंड का प्रतिनिधि है जब चंद्राकोना क्षेत्र में धार्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण की लहर चल रही थी। यह माना जाता है कि यह मंदिर स्थानीय जमींदारों या भक्तों द्वारा बनवाया गया, जिन्होंने बंगाल की पारंपरिक रत्न शैली को अपनाकर इसे भव्यता प्रदान की।

सप्तदश रत्न शैली का अर्थ है – मंदिर में कुल 17 रत्नाकार (शिखर) होना। इस प्रकार की संरचना अत्यंत दुर्लभ होती है और यह मंदिर उस स्थापत्य सौंदर्य का जीवंत उदाहरण है।

मंदिर के बाहरी दीवारों पर उकेरी गई टेराकोटा नक्काशियाँ धार्मिक कथाओं, शिव-पार्वती की लीलाओं, और ग्रामीण जीवन के चित्रों को जीवंत करती हैं।

स्थापत्य विशेषताएँ

- शैली : सप्तदश रत्न (17 रत्नों वाला मंदिर)

- मुख्य देवता : भगवान शिव (परवतिनाथ)

- निर्माण काल : 19वीं शताब्दी

- दीवारों पर सजावट : टेराकोटा पट्टिकाएँ

मुख्य गर्भगृह में शिवलिंग की स्थापना

इस मंदिर का वास्तुशिल्प बंगाल की पारंपरिक टेराकोटा शैली और रत्न मंदिर की सुंदरता का अद्वितीय संगम है।

दर्शन समय

प्रातःकाल : 6:00 बजे से 11:30 बजे तक

सायंकाल : 4:00 बजे से 8:00 बजे तक

विशेष दिन : सोमवार एवं शिवरात्रि को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।

आरती और पूजन व्यवस्था

- प्रभात आरती : प्रातः 6:30 बजे

- संध्या आरती : सायं 6:30 बजे

सोमवार को विशेष पूजन, जिसमें दुग्धाभिषेक और बेलपत्र अर्पण किया जाता है।

शिवरात्रि, श्रावण मास, एवं मकर संक्रांति पर विशेष महोत्सव का आयोजन होता है।

यात्रा मार्ग (कैसे पहुँचें?)

रेल मार्ग से :

निकटतम रेलवे स्टेशन चंद्राकोना रोड स्टेशन है, जो हावड़ा से लगभग 130 किमी दूर स्थित है।

सड़क मार्ग से :

कोलकाता से NH-6 (अब NH-16) होते हुए चंद्राकोना पहुँचना सुगम है। कोलकाता से दूरी लगभग 150 किमी है।

बस सेवा :

कोलकाता, खड़गपुर, मिदनापुर आदि स्थानों से नियमित बस सेवाएँ उपलब्ध हैं जो चंद्राकोना तक जाती हैं।

विशेष आकर्षण

- मंदिर की सप्तदश रत्न संरचना – स्थापत्य प्रेमियों के लिए एक अद्भुत दृश्य।

- टेराकोटा नक्काशी – फोटो खींचने और समझने योग्य कलात्मकता।

- शिव-पार्वती की संयुक्त उपासना – आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र।

परवतिनाथ मंदिर केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल की सांस्कृतिक, धार्मिक और स्थापत्य धरोहर का अमूल्य रत्न है। चंद्राकोना की यह भूमि सदियों से भक्ति, शिल्प और परंपरा का संगम रही है, और परवतिनाथ मंदिर इसका जीवंत प्रतीक।

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