Jharkhand Devri Temple Travel Guide: 700 साल पुराना देवड़ी मंदिर: जहाँ हर मन्नत होती है पूरी, जानें अद्भुत रहस्य और पौराणिक कथाएं!
Jharkhand Devri Temple Travel Guide: भारत का झारखंड राज्य प्राकृतिक सुंदरता से समृद्ध प्रदेश है जहां हजारों लोग राज्य के ऐतिहासिक स्थलों को देखने और मंदिरों के दर्शन करने आते हैं।;
Jharkhand Devri Temple Travel Guide: भारत का झारखंड राज्य प्राकृतिक सुंदरता से समृद्ध प्रदेश है जहां हजारों लोग राज्य के ऐतिहासिक स्थलों को देखने और मंदिरों के दर्शन करने आते हैं। झारखंड में मौजूद मंदिरों में से अधिक मंदिर भगवान शिव और शक्ति स्वरूप मां दुर्गा को समर्पित है। इन्हीं मंदिरों में एक और मंदिर है जिसका इतिहास 700 साल पुराना है। झारखंड के रांची में देवड़ी मंदिर एक ऐसा मंदिर है जहां से आज तक कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटा है। इस मंदिर में हर भक्त की सच्चे मन से की गई मुराद पूरी होती है। इस मंदिर की खासियत और महत्वपूर्ण जानकारी को जानने के लिए इस आर्टिकल के माध्यम से बने रहिए हमारे साथ।
कहां है देवड़ी मंदिर
देवड़ी मंदिर प्राकृतिक सुंदरता, जंगलों और पहाड़ों से समृद्ध राज्य झारखंड की राजधानी रांची से करीब 60 किलोमीटर की दूरी पर देवड़ी गांव में मौजूद है। यह मंदिर रांची टाटा राजमार्ग के पास स्थित है। इस मंदिर के दर्शन के लिए साल भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
देवड़ी मंदिर संरचना
इस प्रसिद्ध मंदिर की संरचना लगभग दो एकड़ में हुई है। इस मंदिर का प्रमुख आकर्षण केंद्र माँ देवी दुर्गा की 16 भुजाओं वाली मूर्ति है। इस मूर्ति को लगभग 700 साल पुराना बताया जाता है। इस मंदिर में मां दुर्गा की मूर्ति के अलावा भगवान शिव की मूर्ति भी स्थापित है।
लोगों के अनुसार ऐसी मान्यता भी है कि जब-जब जिसने इस मंदिर के संरचना को बदलने की कोशिश की है उसे भारी परिणाम भुगतना पड़ा और देवताओं के क्रोध का भी सामना करना पड़ा है।
मंदिर का निर्माण और पौराणिक कथा
देवड़ी मंदिर के निर्माण से संबंधित दो पौराणिक कथाएं काफी रोचक हैं। एक कथा के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 10वीं से 12वीं शताब्दी के दौरान मुंडा के राजा केरा द्वारा किया गया था। मान्यता यह है कि जब मुंडा राजा युद्ध में हार कर लौटे थे तो रात के समय मां दुर्गा उनके सपने में दिखाई दी और उन्हें आशीर्वाद दिया। जिससे राजा को उनका हारा हुआ राज्य वापस मिल गया। इस चमत्कार से अचंभित और खुश होकर राजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
दूसरी लोक मान्यता के अनुसार इस मंदिर का निर्माण जब हो रहा था किसी को इसकी खबर नहीं थी और किसी ने इस मंदिर का निर्माण होते हुए नहीं देखा था। मंदिर के पुजारी का यह कहना है कि एक रात एक भक्त को सपने में मंदिर दिखाई दिया जिसके बाद सुबह में वह भक्त जंगलों और पहाड़ों के बीच मंदिर को खोजने निकल गया। काफी परिश्रम के बाद शाम होते-होते भक्त को वह मंदिर मिल गया।
मंदिर खुलने का समय
मंदिर के द्वार भक्तों के दर्शन करने के लिए सुबह 5:00 बजे से रात 8:00 बजे तक खुले रहते हैं। मंदिर में रोजना सुबह 5:00 बजे दोपहर 12:00 बजे और शम 5:00 बजे आरती की जाती है।
आदिवासी और हिंदू संस्कृति का शानदार संगम
झारखंड के इस प्रमुख देवड़ी मंदिर को आदिवासी और हिंदू संस्कृति का शानदार संगम भी माना जाता है। ऐसा इसीलिए है क्योंकि यह एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां सप्ताह के 6 दिन आदिवासी पुजारी पूजा करते हैं जिन्हें पाहन के नाम से जाना जाता है और एक दिन ब्राह्मण पूजा करते हैं जिन्हें पंडा के रूप में जाना जाता है।
सच्चे मन से माँगी मनोकामना
देवड़ी मंदिर में सच्चे मन से मांगी हुई हर मुराद पूरी होती है। भक्त मंदिर में बाँस पर पीले और लाल रंग के पवित्र धागे बांधकर मनोकामना मांगते हैं। और मनोकामना की पूर्ति पर वे फिर से मंदिर जाकर धागे खोल देते हैं। मन्नत पूरी होने के बाद भक्त माता को खिचड़ी या खीर का भोग भी चढ़ाते हैं।
मंदिर में प्रमुख आयोजन
झारखंड का पवित्र और प्रसिद्ध मंदिर होने के कारण देवड़ी मंदिर में न केवल राज्य के श्रद्धालु पहुंचते हैं बल्कि देश और विदेश से भी श्रद्धालु दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं।
साल में दो बार नवरात्रि के समय मंदिर में खास आयोजन किया जाता है। नवरात्रि के दिनों में सबसे अधिक संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। इन दिनों में मंदिर को फूलों से सजाया जाता है जो श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।
देवड़ी मंदिर कैसे पहुँचे
देवड़ी मंदिर पहुंचने के लिए श्रद्धालु हवाई मार्ग रेल मार्ग या सड़क मार्ग का उपयोग कर सकते हैं।
- हवाई मार्ग: मंदिर पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा रांची हवाई अड्डा है। जो मंदिर से लगभग 60 से 70 किलोमीटर की दूरी पर है। हवाई अड्डे से उतरने के बाद श्रद्धालु टैक्सी या बस से यात्रा कर मंदिर तक पहुंच सकते हैं।
- रेल मार्ग: मंदिर पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन धनबाद है। यहां से भी मंदिर पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं के पास कई विकल्प होते हैं।
- सड़क मार्ग: अगर आप आसपास के शहरों में भी घूमना चाहते हैं और झारखंड के प्राकृतिक सुंदरता को निहारना चाहते हैं तो आप सड़क मार्ग का इस्तेमाल कर सकते हैं। शहर से ज्यादा दूरी न होने के कारण आप यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।