क्षिणेश्वर काली मंदिर (कोलकाता) के बारे में जानिए
दक्षिणेश्वर काली मंदिर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के निकट स्थित एक अत्यंत प्रसिद्ध एवं पूजनीय हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर माँ काली के भवतरिणी स्वरूप को समर्पित है, जो भक्तों के संकटों का नाश कर उन्हें भवसागर से तारने वाली मानी जाती हैं।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर (कोलकाता)
दक्षिणेश्वर काली मंदिर पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के निकट स्थित एक अत्यंत प्रसिद्ध एवं पूजनीय हिन्दू मंदिर है। यह मंदिर माँ काली के भवतरिणी स्वरूप को समर्पित है, जो भक्तों के संकटों का नाश कर उन्हें भवसागर से तारने वाली मानी जाती हैं। यह मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि रामकृष्ण परमहंस की तपस्या और साधना की भूमि भी है, जिनके शिष्य स्वामी विवेकानंद ने आगे चलकर भारतीय अध्यात्म को विश्व में फैलाया।
मंदिर का इतिहास
- यह मंदिर 1855 ई. में बनकर पूर्ण हुआ था और इसका निर्माण तत्कालीन धनी महिला रानी रासमणि ने कराया था।
- रानी रासमणि को माँ काली ने स्वप्न में दर्शन देकर यह मंदिर बनवाने का आदेश दिया था।
- मंदिर का वास्तुशिल्प नव-रूढ़ बंगाली शैली में निर्मित है और इसका मुख्य मंदिर 9 शिखरों वाला (नव-रत्न) है।
- माँ भवतरिणी की मूर्ति को गंगा नदी की ओर मुख करते हुए स्थापित किया गया है।
- रामकृष्ण परमहंस को इस मंदिर में मुख्य पुजारी के रूप में नियुक्त किया गया था और उन्होंने वर्षों तक माँ की आराधना एवं साधना की।
दर्शन समय
सभी दिन
सुबह 6:00 बजे – रात 8:30 बजे (अप्रैल-सितंबर)
सुबह 6:30 बजे – रात 8:00 बजे (अक्टूबर-मार्च)
मंदिर दोपहर में कुछ समय के लिए बंद भी रहता है (लगभग 12:30 PM से 3:00 PM तक)।
यात्रा मार्ग (कैसे पहुँचें ?)
स्थान : दक्षिणेश्वर, कोलकाता – गंगा नदी के किनारे स्थित।
1. रेल द्वारा :
निकटतम स्टेशन : दक्षिनेश्वर रेलवे स्टेशन
2. मेट्रो द्वारा :
दक्षिनेश्वर मेट्रो स्टेशन हाल ही में चालू हुआ है।
3. सड़क मार्ग :
कोलकाता से टैक्सी, बस, ऑटो द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।
4. जल मार्ग (विशेष):
बेलूड़ मठ से दक्षिणेश्वर तक गंगा नदी के माध्यम से फेरी सेवा भी उपलब्ध है, जो एक आध्यात्मिक और सौंदर्यपूर्ण अनुभव देती है।
आरती एवं पूजा
सुबह की आरती : सुबह 6:00 – 6:30 बजे
दोपहर पूजा : दोपहर 12:00 बजे
शाम की आरती : सूर्यास्त के समय (लगभग 6:00 – 6:30 बजे)
विशेष पूजन : अमावस्या, काली पूजा, दुर्गा अष्टमी, और नवमी को विशेष अनुष्ठान होते हैं।
माँ भवतरिणी की मूर्ति को प्रतिदिन शुद्ध गंगाजल से स्नान कराया जाता है और सुगंधित पुष्पों से सजाया जाता है।
विशेष तथ्य
- मंदिर परिसर में 12 शिव मंदिर, एक राधा-कृष्ण मंदिर और एक विशाल नट मंदिर (कीर्तन हॉल) भी है।
- रामकृष्ण परमहंस ने यहीं माँ काली के साक्षात् दर्शन किए थे और यह स्थल अद्वैत दर्शन और भक्ति आंदोलन का प्रमुख केन्द्र बन गया।
आसपास के दर्शनीय स्थल
1. बेलूड़ मठ – स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित, गंगा के उस पार।
2. कालीघाट काली मंदिर – कोलकाता का एक और प्रसिद्ध शक्तिपीठ।
3. विक्टोरिया मेमोरियल, हावड़ा ब्रिज, इको पार्क – यदि कोलकाता घूमना चाहते हैं।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक ऊर्जा केन्द्र है जहाँ भक्तों को माँ काली की कृपा, रामकृष्ण परमहंस की साधना और गंगा की निर्मलता का साक्षात्कार एक साथ होता है। यह मंदिर न केवल कोलकाता की शान है, बल्कि समस्त भारतवर्ष की आस्था का प्रतीक है।